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सतरंगी सपने

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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सतरंगी सपने बुनकर के,
तुम बढ़ते रहना।
चाहे कितना दुष्कर पथ हो,
तुम चलते रहना।।

उच्च शिखर चढ़ना है तुमको,
तन-मन शुद्ध करो।
नित्य मिले आशीष बड़ों का,
उत्तम भाव भरो।।
थाम डोर विश्वास नदी -सम,
तुम बहते रहना।

सत्कर्मों के पथ चलकर तुम,
चंदा -सम दमको।
ऊंँची भरो उड़ानें नभ में,
तारों-सम चमको।।
संबल हिय पाएगा साहस,
बस भरते रहना।

सपन सलौने पाओगे तुम,
धीरज बस रखना।
करो साधना राम नाम की,
फल मधुरिम चखना।।
तमस् दूर करने को दीपक,
सम जलते रहना।

अथक प्रयासों से ही जग में,
लक्ष्य सदा मिलता।
सुरभित जीवन बगिया होती,
पुष्ष हृदय खिलता।।
सारी दुविधाओं को तज कर,
श्रम करते रहना।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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