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दिल हूं हिंदुस्तान की

डॉ. निरुपमा नागर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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सरल, सहज, सुमधुर वचन
संस्कृत से पाया अपना जीवन

सकल जगत् को मोह रही
है अंक मेरे अपार शब्द शक्ति

सहेज रही बोलियों को
बनकर मातृशक्ति

नवीन तकनीक
के लगाकरपंख
मैं तो छूने आकाश चली

हिंदी कहते मुझको
दिल हूं हिंदुस्तान की

राजभाषा बन हिन्द की
राष्ट्रभाषा बनने की
तमन्ना मैं कर रही

परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर
निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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