
अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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जो सर्वज्ञ सर्वव्यापी है,
स्वयं सृष्टि निर्माता।
पालक संहारक दुनिया का,
ईश्वर है कहलाता।
दिव्य अलौकिक शक्तिपुंज जो,
जग का पालन करता।
ईश्वर स्वयं सृष्टि संचालक,
सुख करता दुख हरता।
करते हैं उद्धार आप ही,
आप कर्म फल दाता।
खेबनहार आप भक्तों के,
सब जग शीश झुकाता।
तारक ज्ञान प्रदाता ईश्वर,
सबका दुख हैं हरते।
सकल जगत के दुख विदीर्ण कर,
सुखमय जीवन करते।
ईश्वर अंश जीव अविनाशी,
तुलसीदास बताते।
सभी जीव निज देह त्याग कर,
धाम उन्हीं के जाते।
अपनी सृष्टि देखकर ईश्वर,
मन ही मन मुस्काते।
कर्मों में रत देख मनुज पर,
कृपा दृष्टि बरसाते।
निर्मल मन वाले मानव से,
प्रभु प्रसीद रहते हैं।
स्वयं जगत के ईश्वर ऐसा,
श्री मुख से कहते हैं।
विनती परमपिता ईश्वर से,
चरण शरण पा जाऊँ।
शुभाशीष पाकर ईश्वर से,
जीवन सफल बनाऊँ।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत”
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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