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सृष्टि का आधार नारी

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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नारी की पूजा करिए सब,
वह परमेश्वर का वरदान।
तन-मन करती सदा समर्पित,
जननी प्रज्ञा को दो मान।।

है आधार सृष्टि की नारी,
करो सदा उसका सत्कार।
दुर्गा काली है रणचंडी,
नारी देवी का अवतार।।
रानी लक्ष्मीबाई साहस,
पराक्रमी दुर्गा पहचान।
त्यागमूर्ति है वह करुणा की,
बसती बच्चों में है जान।।

जगजननी माता है नारी,
पावन गंगा की है धार।
प्रेम त्याग की वह है मूरत,
जीवन का अनुपम शृंगार।।
नारी धरती का है गौरव,
देती सबको दुर्लभ ज्ञान।
शत- शत नमन करो नारी को,
नित करना उसका जयगान।।

लक्ष्मी देवी नारी घर की,
नहीं रही वह अबला आज।
पुरुषों से भी वह है बढ़कर,
उससे उन्नत लोक समाज।।
जान देशरक्षा में देतीं ,
करती रहती हैं बलिदान।
राह दिखाती है विकास की,
सत्कर्मों की लौकिक खान।।

चीर-हरण रोको नारी का,
करते क्यों हो अत्याचार।
नारी हिंसा उत्पीड़न का,
करो सजग मन से प्रतिकार।।
उठा शस्त्र दानव को मारो,
करना स्थापित नया विधान।
चक्र सुदर्शन कृष्ण चला अब,
करो सुरक्षा और निदान।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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