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राम

विजय वर्धन
भागलपुर (बिहार)

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जिनके होठों पर हों राम
उनका जीवन सुधा समान
उनका दिल कलुषित नहीं होता
करते वे सबका कल्याण
जिनके हिय में वसते राम
उनका सब होता है काम
जो भजते हैं राम का नाम
उनका जीवन स्वर्ग समान
वे करुणा के होते गागर
जैसे राम दया के सागर
जो अनुचार हैं रामचंद्र के
वे होते हनुमान समान

परिचय :-  विजय वर्धन
पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद
माता जी : स्व. सरोजिनी देवी
निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार)
शिक्षा : एम.एससी.बी.एड.
सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त
प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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