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सबको रोना आ गया

आनंद कुमार पांडेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)
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ऐसा आया कोरोना, सबको रोना आ गया।
घूमने वालों को बिस्तर पर सोना आ गया।।

चीन से शुरू हुआ, चीन के हीं कारणों,
विश्व को रुला दिया, दवा भी मिलेगी नो,
डर लगे निकलें बाहर कैसे टोना आ गया।
ऐसा आया कोरोना, सबको रोना आ गया।

बंद हो गए यातायात के भी साधन सब,
मर रही है जनता सो रहे कहाँ हैं रब,
वैज्ञानिकों के भी माथे पर पसीना आ गया।
ऐसा आया कोरोना, सबको रोना आ गया।

लॉक डाउन की घड़ी है लॉक हो गए सभी,
मास्क है जुबान पर अब घूमना कभी,
बिना मिले-जुले सबको अब जीना आ गया।
ऐसा आया कोरोना सबको रोना आ गया।

तुलसी का पत्ता अजवाइन और आदी का,
काढ़ा ईलाज है कोरोना जैसे बादी का।
ग्रीन टी पिने का अब जमाना आ गया।
ऐसा आया कोरोना, सबको रोना आ गया।

घरेलू उपचार हीं अब इसका ईलाज होगा,
लहसुन चबाना हल्दी दूध पीना आज होगा,
स्वस्थ रहने का माध्यम सलोना आ गया।
ऐसा आया कोरोना सबको रोना आ गया।

लग रहा कोरोना अब तो चीनियों की साजिश है,
सोची समझी उसकी रणनीति और रंजिश है,
सपने आनंद के भी चंद पल मे टूट गए,
कितनो के घर संसार भी तो लूट गए,
तन्हा रहके तन्हाई में बस रोना आ गया।
ऐसा आया कोरोना सबको रोना आ गया।

परिचय :- आनंद कुमार पांडेय
पिता : स्व. वशिष्ठ मुनि पांडेय
माता : श्रीमती राजकिशोरी देवी
जन्मतिथि : ३०/१०/१९९४
निवासी : जनपद- बलिया (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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