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अलबेला मौसम आया

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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मौसम को मैने इस समय
बदलते पाया ।
वास्तव में अब
अलबेला मौसम है आया।
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न पंखे की जरूरत है
न हीटर की जरूरत है।
देखिए मौसम
कितना खूब सूरत है।
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ऐसे अलबेले मौसम का
अलग ही मजा है।
मौसम खराब हो तो
लगता सजा है।
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मौसम बदल रहा है
तुम मत बदल जाना।
सात जन्म तक
मेरा ही साथ निभाना।
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ये मौसम प्यार का है
आओ एक दूसरे में समा जायें ।
और दोनों मिलकर
एक हो जाय।
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चारों तरफ शांति है
न कही शोर है।
खुशहाली फैली
चारों ओर है।
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वे बदल गये मौसम की तरह
हम इंतजार करते रहे।
वे हो गये किसी और के
हम सपने देखते रहे।
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सबसे अच्छा है ये मौसम
सबसे प्यारा है ये मौसम।
जो करना है कर लो
दोबारा नहीं आयेगा ये मौसम।
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परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।

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