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चलते रहना ही जीवन है

किरण विजय पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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चलते रहना ही जीवन है,
चाहे सुख आए या दुख आए,
चाहे काँटे भाटे रोडे आए,
इन सबको पार करते चलना,
चलते रहना ही जीवन है।
चाहे ओलावृष्टि आती हो,
चाहे गर्मी कितनी सताती हो,
जीवन में लक्ष्य लेकर चलना,
चलते रहना ही जीवन है।
मंजिल की आस रहे दिल में,
चाहे कितनी कठिनाई सामने हो,
हो चट्टान का सामना भी,
चलते रहना ही जीवन है।
कुछ पाना है तो चलते रहना,
बढ़ते रहना हो लक्ष्य सदा,
ना हार कभी मन में लाना,
ना नर्वस होकर तुम रहना।
उठो चलो ! चलते रहना
चलते रहना ही जीवन है।
कभी नही उदास हो जीवन मै,
नहीं कभी हतोत्साहित हो जीवन मै,
खुश होकर चलते ही रहना,
चलते रहना ही जीवन है।
नदियों की तरह बढ़ते रहना,
नाचते गाते उत्साह भरे,
मंजिल तो एक दिन पाना है,
चलते रहना ही जीवन है।

परिचय : किरण विजय पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स
व्यवसाय : बिजनेस वूमेन
विशिष्ट उपलब्धियां :
१. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित
२. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित
३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट्रीय समान २०२४” से सम्मानित
४. १५००+ कविताओं की रचना व भजनो की रचना
रूचि : कविता लेखन, चित्रकला, पॉटरी, मंडला आर्ट एवं संगीत
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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