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छत्तीसगढ़ के पहिली बलिदानी : वीर नारायण सिंह बिंझवार

प्रीतम कुमार साहू ‘गुरुजी’
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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जब हम गरीब मनखे ला इंसाफ अउ अधिकार दिलाय के बात करथन त सबले पहिली हमर मन म एकेच नाव आथे। वो नाव हरे वीर नारायण सिंह बिंझवार के जेन हर गरीब मनखे के जान बचाय बर अपन जान के बलिदान कर दिस। जमीदार होय के बाद भी साहूकार मन ले गरीब मनखे के भूख मिटाय बर आंदोलन करिस। १८५७ के स्वतंत्रता समर म छत्तीसगढ़ के पहिली बलिदानी आय।

वीर नारायण सिंह के जनम छत्तीसगढ के सोनखान गांव म बछर १७९५ म जमीदार परिवार म होइस। पिता के नाव रामसाय रिहिस। कहे जाथे कि पुरखा के सियान मन कर ३०० गांव के जमींदारी रिहिस। वीर नारायण सिंह बिंझवार जनजाति के रिहिस। पिता के परलोक सिधारे के बाद ३५ बछर म अपन पिता के जगह म बइठ के जमींदार बन गे। पर दुख ल अपन दुख जान के गांव के गरीब मनखे मन बर अब्बड़ दया धरम करय।

बछर १८५६ म बिकट आकाल परिस। लोगन मन कर खाय पिये बर कछु नइ रिहिस। जोन भी अनाज रिहिस ओला अंग्रेज अउ उँकर गुलामी करइया साहूकार मन अपन गोदाम म जमा कर के राख ले रिहिन। भूख पियास म मनखे मन के जीना मुसकल होगे रिहिस। मनखे मन के हाल बेहाल होत देख वीर नारायण सिंह से रहे नइ गिस।

अउ कसडोल नामक जगह म अंग्रेज के सहायता ले साहूकार माखनलाल के गोदाम से अवैध ढंग ले जमा करे रिहिन अनाज ल चोरी कर के भूखमरी म मरत मनखे मन ल बाट दिस। वीर नारायण सिंह के ये काम ले अंग्रेज मन नाराज होके २४ अक्टूबर १८५६ म बंदी बना के कारागार म बंद कर दिस।

१८५७ म स्वाधीनता खातिर देशभर म आंदोलन धधक गे। राजा रानी के संगे संग देश भर के जम्मो मनखेमन भारत भुईया ल अग्रेज मन ले आजाद करे खातिर आंदोलन के तियारी करे लागिन। आंदोलन के लपेटा म छत्तीसगढ हर घालो आईन जेमा सोनखान अछूता नइ रिहिन।

२८ अगस्त बछर १८५७ म अंगरेजी सेना के भारतीय सैनिक मन वीर नारायण सिंह ल कारागार ले आजाद करिन अउ अपन नेता मान लिन। लोगन मन के जन समरथन पाके ५०० बंदुक धारी मनखेमन के सेना बनाइस। जे सेना हर अंग्रेजी सरकार के संग लड़ सके। वीर नारायण सिंह खुद घोड़ा म सवार होके लड़ाई करैय। घोड़ा के नाव कबरा रिहिस।

कुरूपाठ के दुरगम पहाड़ी ल अपन ठिकाना बनाइस जिहा अपन कुलदेवी दनतेसवरी के साधना करैय। गुफा अउ पहाड़ी दररा म अंगरेज मन ले लड़े के योजना बनावय। छापामार युद्ध ले अंग्रेज मन के नाक म दम कर दे रिहिस। अंग्रेज डहर ले कैप्टन स्मिथ लड़त रिहिस। वीर नारायण सिंह ल पकड़े अउ मारे बर सोनखान म कई बार घेराबंदी करिस फेर एको बार पकड़ नइ सकिस।

फेर दुनिया म गद्दार मनखे के कमी नइ हे। सत के मारग म चलइया अउ अपन माटी बर जान देवईया वीर मन के जान के दुसमन घलो रिहिस। वीर नारायण सिंह ले बदला लेय खातिर कतको जमींदार मन अंग्रेजी सरकार ले मिल के वीर नारायण सिंह के चुगली करैय।

अपन धन दौलत अउ सैनिक संगठन वीर नारायण सिंह के विरुद्ध अंगरेज सरकार ल देय के सहयोग करैय। जब अंग्रेजी सरकार अपन काम म सफल नइ हो सकिस त वीर नारायण सिंह के दुखती नस म वार करे के सोचिन। वोहरे दुखती नस ओकर प्रिय जनता आय।

अंग्रेज सरकार मन जब वीर नारायण सिंह ल जब नइ पकड़े सकीस त स्थानी जनता मन उपर अतिचार करे लगिन। मनखे मन के घर ल आगी लगाय लगिन वीर नारायण सिंह अपन स्थानी जनता मन उपर होवत अतिचार के पीरा ल नई सहे सकीस अउ अंगरेजी सरकार के आगु माथा टेक दिस।

माथा टेके के पाछु ये बात आय की मोर कारन कोनो गरीब मनखे मन उपर अतिचार काबर होवय। ए लड़ाई मोर अउ अग्रेजी सरकार के बिच के लड़ाई आय जेमा गरीब मनखे काबर पेराय।

१० दिसम्बर बछर १८५७ म रायपुर के जय स्तम्भ चौक म अंग्रेजी सरकार वीर नारायण सिंह ल बिच चौराहा म फ़ासी के फंदा म लटका दिस। अग्रेज मन अतेक अतिचार करिन की फ़ासी के फंदा म लटकाय के बाद ओकर सरीर ल तोप म बांध के गोला दाग़ दिस।

बछर १८५७ के आंदोलन अगरेजी सरकार अउ भारतीय लोगन मन के बिच के एक बड़का आंदोलन आय। जेन ल १८५७ के स्वतंत्रता आंदोलन कहे जाथे। इहि आंदोलन म वीर नारायण सिंह हर अंग्रेजी सरकार के पुरजोर विरोध करिन। जेकर सती वीर नारायण सिंह ल बछर १८५७ के आंदोलन म अपन जान के आहुति देवईया छत्तीसगढ़ के पहिली बलिदानी कहे जाथे।
ऐसन वीर बलिदानी ल पुण्य तिथि म सत सत नमन हे …!!

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू, गुरुजी (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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