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एक स्पर्श

सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल (मध्य प्रदेश)
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“मेरे गालों पर जब हुआ एक स्पर्श,
जान गया, किसने किया, ये स्पर्श,
मां की यादे, हृदय में सन्जोये, बैठे,
मन में, होता है, मुझे फिर अपार, हर्ष,
आशीश उनका, शीश पर सदा बना रहे,
जीवन में, तभी, होता रहेगा, उत्कर्ष,
ज़ब किसी परेशानी से, मैं, त्रस्त रहता,
मां, देती रहती, अपना अमूल्य परामर्श,
हिम्मत हार के, न कर पाता, कोई काम,
मां की हौसला अफजाही से, पाता उत्कर्ष”

परिचय :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाशित, ३ गीत॰ मुक्तक लोक व्दारा, प्रकाशित पुस्तक गीत सिंदुरी हुये (गीत सँकलन) मेँ प्रकाशित हुये हैँ.
संप्रति :- भारतीय स्टेट बैंक, से सेवा निवृत्त अधिकारी
निवासी :- भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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