Friday, May 10राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

आर्यावर्त के सूर्य

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
********************

हे आर्यावर्त के सूर्य!
तुम्हें क्या दीया दिखाऊँ!!
हे मानवता के दिव्य
उज्ज्वल रूप! बलिहारी जाऊँ।

दीन-हीन-पीड़ितों के हित
लहराय तुझ हिय में प्रखर
कैसी अप्रतिम उत्कट
सहानुभूति का अगाध सागर!

सादा जीवन जीया औ
सदा ही रखे उच्च विचार!
अपनी कथनी करनी से
दिखाय सदा उच्च संस्कार!!

साहस, संघर्ष, पौरुष के
साकार रूप रहे सदा तुम!
सदा ही किये चुनौतियों
मुश्किलों का सामना तुम!!

जीवन के पथ पर अनवरत
चलते अनथक राही तुम!
सतत् प्रेरणा के शुभ स्रोत
बने परम उत्साही तुम!!

बालकाल से ही जीया
अभावों का दूभर जीवन!
खेलने-खाने की उम्र से ही
करन लगे चिंतन-मनन!!

मांँ की ममता से भी वंचित,
हा महज आठ की वय में!
झेला विमाता का दुर्व्यवहार
औ पिता का धिक्कार!!

कैशोर वय में ही आ पड़ा
तेरे कोमल कंधों पर :
पूरे परिवार-पाल-पोस के
दायित्वों का गुरुभार!!
ऊपर से सुन ली तूने
भारत मांँ की करुण पुकार!

दे त्यागपत्र स्वातंत्र्य की
बलिवेदी में दिया हवन!
जीवन औ समाज में
व्याप्त भारी विसंगतियों का…
कराया अपने विशाल कथा
साहित्य में दिग्दर्शन!!

ठेठ जन-समाज-जीवन के
हे के अनुपम कुशल चितेरे!
कथाओं में तु मनुष्य समाज
के सच्चे चित्र उकेरे

आम आदमी की घुटन के,
चुभन के,रुदन-सिसकन के…
हृदय की पीड़ा अ दर्द के,
मन की कसक के, कचोट के… !!

युगीन दलित समाज के
हृदय विदारक कटु जीवन के… !
बुधिया की प्रसव पीड़ा से
छटपटाते स्त्री सखा के … !

कृषि जीवन की घोर त्रासद
गाथा कहते होरी के… !
जीवन के कंटकाकीर्ण पथ पर
कदम ब कदम मिलाती..
भारतीय नारी का आदर्श
प्रस्तुत करती धनिया के… !!

छबीली गोरी झुनिया के…
तिनकके युवा गोबर के…
आधुनिक युग के ध्वजवाहक
मालती मेहता के … !!

धरती पर जीवंत न्याय-परभु
पंच परमेश्वर की…!
अभागी के स्वर्ग की,
निराश्रित बूढ़ी काकी जी की !

ठाठ पूस की रात की,
ठाकुर के कुएं की कथा कही…
वास्तविकता की जमीन पर
पकी यथार्थ जीवन की… !

जानना हो यदि उत्तर भारत
का रूप-चरित्र-व्यवहार!
तिरी कहानी-उपन्यासों में
पढ़ें जीवंत जन आचार!!

भारत के चिंतन मनन,
संस्कृति औ आदर्श को कर वर्णित…
कहानियों में अपने युग को
तूने कर दिया मूर्तित!!

कल्पना, किस्सागोई की
कपोल दुनिया से निकाल
दी हिंदी कहानी को सार्थक
जिंदगी! नई पहचान!!
हे आधुनिक कथा साहित्य के
जनक! बने कथासम्राट!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *