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काली चामुण्डा और पॉंच भूत
कहानी

काली चामुण्डा और पॉंच भूत

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** पिछले दिनों की बात है। जब चाचा का धौलाने से फोन आया कि तुम्हारी चाची पिछले कुछ दिनों से बीमार है। मैंने यहां और आस पास के सभी डॉक्टरों को दिखा लिया परन्तु कोई आराम नहीं हो रहा है। मैंने पूछा, "डॉक्टरों ने क्या तकलीफ़ बताई है?" वह बोलें डॉक्टरों के कोई बिमारी समझ ही नहीं आ रही है। वो तो केवल दवा देकर ये कह देते हैं कि शायद इस दवा से आराम हो जाए। कल गाजियाबाद एक बडे अस्पताल में दिखा कर लगाऊंगा। मैंने कहा कि डॉक्टर को सारी तकलीफ अच्छे से बता देना ताकि वो अच्छी दवा दे सके। चाचा बोले कि बता तो दूंगा परन्तु कुछ बातें तो ऐसी है, जिन्हें बताने में ऐसा लगता है कि कहीं डॉक्टर सुनकर हंसी ना बनाएं। मैंने कहा, "हंसी क्यू बनाएंगे?" चाचा बोले कि रात के समय इसे सांस लेने में परेशानी होती है। यहां तक तो ठीक है परन्तु इसी के साथ ही ये अपने ही गले...
नारी जीवन
कविता

नारी जीवन

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नारी है नारायणी, नारी नर की खान, नारी से ही उपजे ध्रुव प्रहलाद समान। नारी ने हर क्षेत्र में अपने , हौसलें की उडा़न भर परचम लहराया कीर्तिमान स्थापित किया है। बंधनो के निबद्ध भावनाओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति है नारी। कटीली नागफनी राहों में गुलाब है नारी। सोच का आंकडा बनाना, जटिलताएं, विवशताएँ, समाज की समस्याएं, रूढ़ीवादी परम्पराएं सबको निभानें का हौसला रखती है नारी। झरने की तरह मानिन्द शांत पीडा़ओं को सहती नारी। रिश्तों की परिधि में घिरकर सहती है नारी। दुर्गा, लक्ष्मी, अहिल्या, मीरा, सीता, सावित्री न जाने कितने रुप है नारी। फिर भी नारी को वह सम्मान नहीं मिला है। आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। नारी सामाजिक दायित्व के प्रति सजग, अधिकारों के प्रति आवाज उठाने का हौसला रखती है नारी। पथ, प्रदर्शिका, स्वरक्षिका हर श...
ये जिंदगी भी ना
कविता

ये जिंदगी भी ना

शत्रुहन सिंह कंवर चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी ******************** ये जिंदगी भी ना क्या से क्या कराती है मुश्किल वक्त पर इशारे पर नाच नचाती है करवाएं बदल-बदल कर फिर खून की आंसू सुलगाती है सोच-सोच के ये मन घबराए चैन कहा अब बेचैनी जो छाए रामरहीम अब सब तेरे वास्ते जिंदगी की बागड़ोर अब तू ही संभाले। परिचय :-  शत्रुहन सिंह कंवर निवासी :  चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिय...
अब नही तोड़ती वो पत्थर
कविता

अब नही तोड़ती वो पत्थर

इन्दु सिन्हा "इन्दु" रतलाम (मध्यप्रदेश) ******************** अब नही तोड़ती वो पत्थर जिसे देखा था कभी तुमने इलाहाबाद के पथ पर, अब लड़ती हैं हर लड़ाई आंखों में अटल संकल्प कर, हमेशा ही मिटती रही, जो पुरुष के झूठे अहम पर, नारी ही क्यों सिद्ध करें, हर बात को, क्या नारी होना अभिशाप है ? मै तो कहूँगी, नारी सबसे सुंदर रचना है नारी होना वरदान है, इसमे देश की उन्नति है समाज की शान है, पुरुष की पहचान है नारी आज भी मरियम है जीवन उसका अनुपम है बच्चे की पुकार है प्रेम की प्यास है यही शिव की भी पहचान है परिचय :-  इन्दु सिन्हा "इन्दु" निवास : रतलाम (मध्यप्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित...
दर्द उनका संभालते रहना
कविता

दर्द उनका संभालते रहना

आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दर्द उनका संभालते रहना कोई मुद्दा उछलते रहना मां का बच्चा ये बहुत प्यारा है इसको हरदम दुलारते रहना जो मुसीबत में फंसे हैं देखो ग़म से उनको उबारते रहना फर्ज की बात बस करो मुझसे अब तो खुद को तरासते रहना मां बड़ी है जहान दुनिया में उसको हरदम दुलारते रहना गलतियां जब भी तुमसे हो जाए हर कदम पर सुधारते रहना खूब इज्जत कमा सको रंजन रब से इतना पुकारते रहना परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी" निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य) लेखन : गीत, गजल, मुक्तक, कहानी, तुम मेरे गीतों में आते प्रकाशन के अधीन, तीन साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित, १० से ज्यादा कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, ५० से ज्यादा गीत के चल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, २०१६ से लेखन में अभिरुचि ...
युद्ध
मुक्तक

युद्ध

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ********************  ( १ ) किसी का हो नहीं सकता, भलाई युद्ध में प्यारे। कोई है हारता इसमें, तो कोई जीत कर हारे।। कहीं इंसानियत रोती, बड़ी नुकसान भी होती। सभी कुछ जानकार के भी, बने अन्जान हैं सारे।। ( २ ) तबाही संग लाती है, विभिषिका यह डराती है। जो देखा यह नजारा है, उसे कब नींद आती है।। कोई ऑसू बहाता है, तो कोई मुस्कराता है। इन्हें कब अक्ल आएगी, यही चिंता सताती है।। ( ३ ) बड़े हैं देश दुनिया में, भरा अभिमान है उनमें। वही विस्तार वादी हैं, नहीं संतोष है उनमें।। उन्हीं के पास है साधन, यही सबसे बड़ा कारण। किसी का हो भला ऐसा, समझदारी नहीं उनमें।। ( ४ ) समझ कमजोर औरों को, करो ना युद्ध मनमानी। निजी स्वारथ में आकर तुम, करो ना काम बेमानी।। कहे कवि राम बस इतना, सभी को मानलो अपना। मिला अनमोल है जीवन, करो ना ब्यर्थ नादानी।। परि...
नामुराद इश्क का मिज़ाज
कविता

नामुराद इश्क का मिज़ाज

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** "नामुराद इश्क का मिज़ाज बड़ा अजीब है यारो" रात ये सोने नहीं देता सुबह ये होने नहीं देता बात करने भी नही देता वो बात सुनने नहीं देता। मरीज ए इश्क की हालत बड़ी नासाज है अब तो कभी खाने नहीं देता कभी पीने भी नहीं देता। यकीन ना हो तो तुम भी इश्क करके देख लेना। कभी मरने नहीं देता तो कभी जीने नहीं देता। नामुराद इश्क का मिज़ाज बड़ा अजीब है यारो यह हंसने भी नहीं देता यह रोने भी नहीं देता। दिल टूटने पर दिल के जख्म किसी को ना बताना दिल के जख्म को ये सीने भी नहीं देता ये धोने नहीं देता इश्क करने वालों के सीने में इश्क की वो आग होती है ये इस आग को बुझने नहीं देता सुलगने नहीं देता। इश्क है तो जिंदगी है ऐसा जमाने में लोग कहते हैं यह सर उठाने नहीं देता यह सर झुकने नहीं देता। परिचय :- सीताराम पवार निवासी : ...
अखिल भारतीय महिला कवि सम्मेलन का आयोजन
साहित्य समाचार

अखिल भारतीय महिला कवि सम्मेलन का आयोजन

इंदौर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सुअवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा दिनांक ८ मार्च को अखिल भारतीय महिला कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमे देश के विभिन्न राज्यों के पधारी कवयित्रियों ने प्रतिभागिता कर अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सुनाई। कवि सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एवं हिन्दीरक्षकडॉटकॉम के सम्पादक पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) ने मंच पर पधारे सभी रचनाकारों का स्वागत व अभिवादन कर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा चलाये जा रहे अभियान व कार्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, तत्पश्चात सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन श्रीमती निरुपमा त्रिवेदी ने अपनी मधुर वाणी से किया। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कीर्ति मेहता (इंदौर म.प्र.), डॉ. अंजलि शर्मा (कोटा राजस्थान), अर्चना मंडलोई (इंदौर म.प्र.), डॉ. संगीता अवचार (...
पनघट
छंद

पनघट

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** विष्णुपद छंद दृश्य सुहाना पनघट पर का, चहल-पहल सारी, चली नीर भरने पनिहारी, ले गगरी भारी, पायल को छनकाती चलती, कटि को लचकाती, खंजन नैनों से दिख के वो, हिय में शरमाती । पायल की झनकार जगाती, प्रीत युवा दिल में, भ्रमर मंडराते हैं मानो, पनघट के स्थल में, बीच घोर घन कुंतल दिखती, चंद्र-मुखी प्यारी, घायल सबको करती चलती, मधु मुसका न्यारी। छोटी-सी ठोकर से छलके, निर्मल जल घट का, मानो नीलांबर है बरसे, खोल स्नेह पट का, बूँद मोतियों-सी सिर पर से, अधरों पर ठहरी, पँखुडी पर शबनम मोती-सी, शोभित है गहरी। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी सम्...
अंतिम अरण्य
कविता

अंतिम अरण्य

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अनंत का अंतिम अरण्य कहां है कोई नहीं जानता। पर निश्चित है कि प्रत्येक को, उसी अंतिम अरण्य में जाना है। देर सबेर दोपहर सुबह शाम वृद्ध, अबाल, जवान, राजा, रंक, फकीर। सभी उस पथ के प्रबल दावेदार। राख मिट्टी में परिवर्तित होने के लिए अंतिम स्थल की मिट्टी बाट जोहती है पगडंडी मार्ग से आने की कभी ना जाने देने के लिए पंचतत्व के दो तत्व निकल ले छू ले। कोई नहीं जानता कहां दबोच ले मसल दे भस्म कर दें हर एक की की मृत्यु का कारण निराला कहीं कोई समानता नहीं मृत्यु मृत्यु हैं, जीवन नहीं कोई नहीं जानता कैसे क्यों जाना है धरा पर वापस ना आने के लिए। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं...
सुन रही हो माँ
कविता

सुन रही हो माँ

इन्दु सिन्हा "इन्दु" रतलाम (मध्यप्रदेश) ******************** देखो माँ, हर वर्ष महिला दिवस पर तुम्हारा गुणगान किया जाता है, उस एक दिन में, भर दिए जाते है पन्ने, तुम्हारी महानता के, माँ महान है, माँ बगैर हम कुछ नही, कही झूठ कही सच, कही भ्रम का लिबास पहनाकर, तुम्हारी महिमा बतायी जाती है, ऐसा लगता है, काँच के शोकेस को चमकाकर, कोई मूर्ति रख दी हो, देवी कहकर तुमको तुमको, प्यार के रैपर से कवर किया जाता है, लेकिन कोई नही लिखता, कोई नही गाता, महानता के पीछे छिपे, पूरे घर मे तुम्हारी भागदौड़ को, दिन भर खटती रहती, तुम्हारी जिम्मेदारी को, आधी रात तक बर्तन घिसती, तुम्हारी उँगलियों को, तुम्हारे टूटे सपनो को, छिप छिप कर बहाए आँसुओं पर, होठों की नकली मुस्कान को, पल पल मरती इच्छाओं पर, तुम्हारे खोए व्यक्तित्व पर, घर घर ऐसी ही होती है माँ, तुम सुन रही हो ना माँ ? परिचय ...
मैं कहाँ?
कविता

मैं कहाँ?

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तेरी महफ़िल में शोर कहां ? मेरे सिवा तेरा कोई यहां और कहां ? लोग कहते हैं तुम हर लफ़्ज़ को पकड़ लेते हो। फिर तुम्हारी जिंदगी में मोहब्बत के पन्नों पर इश्क की दास्तां कहां? लोग कहते हैं हर आशिक तेरा यहां। फिर तेरे चाहने वालों में यहां मेरा नाम का कहां? लोग कहते हैं मोहब्बत की में हर शायरी हर नगमे में तेरा नाम है यहां? फिर इश्क के दरिया बीच प्यार के नाव में तू अकेला बैठा क्यों यहां ? परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर...
नवोदित सृजनकार मसीहा
कविता

नवोदित सृजनकार मसीहा

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** सरस्वती देवी मां कृपा, महिमा सुनी सुनाई है। कर्म-मर्म की सभी अच्छाई, समाज हित बरसाई है। परवरिश कहानी कहती है, कसर बाकी राह ना जाये अपनी कुव्वत से भी ज्यादा बच्चों को अर्पित हो जाये यह भाव समाया जब दिल में, कौन तुम्हें फिर रोकेगा बाधा विलंब तो लिखी बदी होना जो वो होवेगा। कर्मों के फल का संतोष यही, तन-मन से शक्ति पाई है कर्म मर्म की सभी अच्छाई समाज हित बरसाई है सरस्वती देवी मां कृपा, महिमा सुनी सुनाई है। कलमकारों का कलम बल ही साहित्य मिसाल बनाती समाज को दर्पण दिखलाने, जब लेखनी दम दे जाती 'माखन'' दिनकर ''सरल' 'निराला' 'पंत' 'गुप्त' पाठ पढ़ाती रचनाकारों के शब्द भाव समस्या का हल दिखलाती इतिहास गवाही देता है, लेखन बल चतुराई है कर्ममर्म की सभी अच्छाई समाज हित बरसाई है सरस्वती देवी मां कृपा महिमा सुनी सुनाई है...
माँ
कविता

माँ

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** माँ शब्द का एहसास ही कुछ और होता है -२ क्योकि यह हजारो, लाखों मे नही, पूरे ब्रह्माण्ड का सबसे शक्तिशाली शब्द है। माँ की दुनिया तो अपने बच्चो मे ही समाई रहती है, पता नही वो कितने दर्द को अपने अन्दर छिपाए रखती है। -२ माँ का हृदय समन्दर सी गहराईयो को लिए फिरता है, ना जाने इसमे कितने आशीर्वादो का बवन्डर भरा है। -२ पता नही वो किस तरह हर दर्द को छिपा के हमेशा मुस्कराती है, वो 'माँ' है इसलिए मुस्कराती है। -२ बीमार होने पर कहती है मै ठीक हु, कुछ नही हुआ मुझे, ओर फिर काम पर लग जाती है। अपने बच्चो की खुशी के लिए कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखती है, क्योंकि वो 'माँ' है। -२ माँ शब्द का एहसास ही कुछ ओर होता है। परिचय :-  आयुषी दाधीच शिक्षा : बी.एड, एम.ए. हिन्दी निवास : भीलवाड़ा (राजस्थान) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करत...
सबसे न्यारी है मेरी माँ
कविता

सबसे न्यारी है मेरी माँ

पारस चवदहिया बाड़मेर (राजस्थान) ******************** मेरी माँ प्यारी जग मे सबसे न्यारी है मेरी माँ खुद भुखी सोती है हमे खिलाती है मेरी माँ! न जाने यह कैसा अनमोल रत्न है मेरी माँ मुझे रुठे किस्सो पर हंस कर बतलाती है मेरी माँ !! मेरे दिल की परी है अपनी बात पर खरी है मेरी माँ मेरे दिल ने कह दिया उसने न मांगे दे दिया ! वह गिले पर सोती है हमे सुखे मे सुलाती है मेरी माँ अपने लहु का कण-कण एक करके दुध पिलाती है मेरी माँ!! अपने जीवन की सारी खुशिया मुझे देती है मेरी माँ मा यह सब कैसे करती हैं मेरी माँ! मेरे बुलन्द हौसलो को उडान देती हैं मेरी माँ मेरी टुटी हर उम्मीद फिर से जगा देती हैं मेरी माँ!! जब दुर तेरे से होता हु मेरी मा सच कहु तो रोना होता हैं मेरी माँ! हर ख्वाहिश पूरी कर लेती हो मेरी माँ सच की राह पर चलना सिखाया हैं तूने मेरी माँ जीवन चलाने का सही पथ बताया तूने मेरी ...
वफ़ा को आजमाना चाहिए था।
ग़ज़ल

वफ़ा को आजमाना चाहिए था।

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** अग़र रिश्ता निभाना चाहिए था। वफ़ा को आजमाना चाहिए था। हमेशा जो तुम्हारे दरमियाँ था, उसे अपना बनाना चाहिए था। चहकते पंछियों से सुर मिलाने, हवा को गुनगुनाना चाहिए था। छुपाने हाल फ़िर अपने सभी से, तुम्हें कोई बहाना चाहिए था। नई बातों को लिख पाने से पहले, गई बातें मिटाना चाहिए था। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं...
दरख़्त के साए में
हिन्दी शायरी

दरख़्त के साए में

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दरख़्त के साए में बैठे हैं मंजिल को तलाशते हैं राह के सफर में मंजिल का आशियां कहां दरख्तों के साए सी लंबी उम्र है शाम के धुंधलके में साये बोझिल कहां नफरतों के साए में दिन-रात निकलते हैं अपना किसे कहें हम वे बर्फ से पिघलते हैं कहने को कहते हैं हम आपके हैं हरदम समंदर की लहरों सी करवट जो बदलते हैं घुमा क्या करें उनकी निगाहों का। दिन रात जो नश्तर चुभोते है। दरख़्तों के कांटों में पत्ते तलाशते हैं गुल की जगह हम गुलिस्ता तलाशते हैं कहने को कहते हैं सब गुलिस्ता बयां अपना मंजर देख जमी की खाक तलाशते हैं। गुजर जाएगा समा उदासी का ए दिल तू गम ना कर फिर मिलेंगे हर लम्हा इंतजार करते-करते। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता...
देखने की तमन्ना तुम्हें
गीत

देखने की तमन्ना तुम्हें

आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देखने की तमन्ना तुम्हें फिर हुई तेरी गलियों से जब मैं गुजरता रहा खिड़कियों से जो देखा तुम्हें रूबरू दर्द दिल में जो था फिर उभरता रहा देखने की तमन्ना ... छू गया एक झोंका मुझे प्यार का अनसुनी एक आवाज आने लगी दिल ने दिल से कहा पास आओ मेरे प्रीत की रीत मुझको लुभाने लगी जब से तेरे खयालों में जीने लगा कोई सागर हृदय में उमड़ता रहा देखने की तमन्ना ... तेरी पहली छुवन याद आने लगी इश्क का मुझ को पहला ये एहसास था तन बदन में जो सिहरन उठी उस घड़ी तेरी चाहत का कैसा यह आभास था सांस तेरी मुझे छू गई इस तरह ख्वाब की वादियों में उतरता रहा देखने की तमन्ना ... तेरी खुशबू का अंदाज मुझको मिला और मादक बदन ये नशीला हुआ कैसी बरसात में तन ये भीगा हुआ आंख का रंग फिर से रंगीला हुआ तेरे मेरे मिलन की घड़ी आ गई तुम म...
बात जो भी कहते है, सच ही कहते है …
कविता

बात जो भी कहते है, सच ही कहते है …

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** बात जो भी कहते है, सच ही कहते है, गुलाब को तुम फूल, हम पंखुड़ी कहते है। ये माना हम तेरी , मुहब्बत के तलबगार नही है, फिर भी तुझको, अपनी जिंदगी कहते है। हम नही जानते पेंचो-रवम, इश्क के मगर, इश्क वालों को ही हम, आदमी कहते है। जल रहा है, अब शहर , नफरतों के कारोबार से, ऐसे लोगों को हम , सियासत के कारोबारी कहते है। हर शिकारी से अव्वल है, एक शिकारी भी अब, पल में बदले रुख हवा का, उसे ही बाज़ीगरी कहते है। तेरे नैनों नक्श को, तराशा नही हमने, रूह डालें जो पुतलो में मिट्टी के, उसे कारीगरी कहते है। गुनाह-ए-मुहब्बत हम भी, कभी-कभी करते है, बातें मुहब्बत की मगर, शहर में बन के अजनबी करते है। कितने पागल थे वो लोग, जिसने बुझा ली लौ जिंदगी की, शाहरुख़ इसी बात को तो मुहब्बत में खुदकुशी कहते है। परिचय :- शाहरु...
मन में दूरी हो भले
कविता

मन में दूरी हो भले

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** मिल जुल रहना सीखिए तजिए व्यर्थ गुमान वरना जीवन समझिए ऊसर और मसान रिश्तों बिन यह ज़िंदगी रहती सदा अपंग संकट की आयी घड़ी लगती कटी पतंग मन में दूरी हो भले मिटे न शिष्टाचार व्याप्त वरन हो जाएगा मत वैभिन्य विकार कभी समर्पण के बिना रिश्ता निभे न कोय सम्बंधों में यदि खटास कष्ट असीमित होय अनुपम मणि है मित्रता रखिए सदा संभाल करिए जब भी स्मरण मन होइ जात निहाल जीवन में मिलते रहे भाँति-भाँति के लोग भली-भाँति से जाँच लें नदी-नाव संयोग परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य स...
पर्व शिव कीर्तन का
भजन, स्तुति

पर्व शिव कीर्तन का

ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' तिलसहरी (कानपुर नगर) ******************** मेरे मन में भाव उठा अब, बाबा शिव के कीर्तन का। महापर्व शिवरात्रि सुहावन शिवशंकर के अर्चन का। इस दिन भोले बनते दूल्हा, करके वह पुष्प श्रृंगार। झूमें नाचे तब भक्त सभी, खुशी मनाते हैं अपार। प्रेम मगन होकर उर आता, मधुर भाव शिव नर्तन का। महापर्व शिवरात्रि सुहावन शिवशंकर के अर्चन का। गौरा माता बनती दुल्हन, करती शुभ प्रेम श्रृंगार। आँखों में शिव की छवि होती, सत उर में उमड़ता प्यार। भाव उठे शिव बारात सदा, प्रभु नील पुष्प वर्षण का। महापर्व शिवरात्रि सुहावन शिवशंकर के अर्चन का। भाँग धतूरा सेवन करते, नित भूत प्रेत गण सारे। भाँग मधुर पीसें गौरा जब, पीते तब भोले प्यारे। भोले की करती नित सेवा, रखें मान माँ कंकन का। महापर्व शिवरात्रि सुहावन शिवशंकर के अर्चन का। परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्...
आदिदेव महादेव
भजन, स्तुति

आदिदेव महादेव

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को, भोले का यश गाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की, भवसागर तर जाना हैं।..... वंदन चंदन कर तिलक लगाएं, अर्पित करते पुष्पों की माला। आदिदेव महादेव का ध्यान धरें, सबके हित उत्तम करने वाला। गौरीशंकर भक्ति में चित्त लगाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... तात कार्तिकेय-गणनायक की, आभा बड़ी निराली हैं। मयूर केतु-गजानन की, छवि नैन सुखदायी हैं। गिरिजापति विश्वनाथ का अलौकिक श्रृंगार करना है। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी ...
हे शिव शंभू करुणा निधान
भजन, स्तुति

हे शिव शंभू करुणा निधान

प्रीति तिवारी "नमन" गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** हे शिव शंभू करुणा निधान, टाले न सके विधि के विधान। अखिल विश्व के पालन हारे, किस भांति करुँ तेरा यशोगान ।। भर दो शक्ति,साहस हम में, आनंद प्रेम, दृढ़ता मन में। हो मानवता हर,जन जन में निज मातृ भूमि का करें मान।। हे शिव शंभू करुणा निधान रोशन कर दो जीवन सबका, मिट जाये "तम" अन्तर्मन का। कर्तव्य विमुख ना रहे कोई, प्रभु हमको दो ऐसा वरदान।। उददेश्यहीन जीवन न रहे, समरसता संबंधों में रहे। निर्विघ्न करो पथ के व्यवधान दे दी हमने अपनी कमान।। हे शिव शंभू करुणा निधान... संघर्षों से निखरें प्रतिपल, संवरे शुभकाज सफल हो कल। हम बन जायें तुम्हरे समान। हे दीनबंधु करुणा निधान...। परिचय :- प्रीति तिवारी "नमन" निवासी : गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार स...
तबाही का मंजर
ग़ज़ल

तबाही का मंजर

लाल चन्द जैदिया "जैदि" बीकानेर (राजस्थान) ******************** तबाही का सारा मंजर, देख रहे हो ना, तुम बिखरते हुऐ ये घर, देख रहे हो ना। कितने अरमां देखे होंगें यहां की जहाँ ने बारुद का ऐसा होता डर, देख रहे हो ना। जिन्हें शौख नही है, चैन-ओ-अमन का, उन्हे कहो युद्ध का असर, देख रहे हो ना। कैसे जिंदगी की भीख मांग रहे है लोग, क्या हो रहा है ये खबर, देख रहे हो ना। यही होता है गुमां बढ़ती हुई ताकत का, गुमां मे दहर रही है मर, देख रहे हो ना। इंसानियत बची है कहीं तो कहो "जैदि" मत करो जंग गिरे ये सर, देख रहे हो ना। शब्दार्थ :- दहर :- दुनिया परिचय -  लाल चन्द जैदिया "जैदि" उपनाम : "जैदि" मूल निवासी : बीकानेर (राजस्थान) जन्म तिथि : २०-११-१९६९ जन्म स्थान : नागौर (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. (राजनीतिक विज्ञान) कार्य : राजकीय सेवा, पद : वरिष्ठ तकनीक सहायक, सरदार पटेल मेडिकल...
प्रेरणा
कविता

प्रेरणा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परमेश की कृपा है, गुरुवर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। गंभीरता परम है, विस्तृत है रूप उसका। अस्तित्व है धरा पर, अद्भुत अनूप उसका। अविरल मनुज-मनुज को, सागर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। होता उदित समय पर, करता है भू प्रकाशित, अवकाश पर न जाता, करता है नित्य प्रेरित। आकाश के अनोखे, दिनकर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। बदले सदा कलाएँ, संसार को ख़ुशी दे। बिन भेदभाव सबको, शीतल सी रोशनी दे। जग को युगों-युगों से, हिमकर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, ...