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सबसे न्यारी है मेरी माँ

पारस चवदहिया
बाड़मेर (राजस्थान)

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मेरी माँ प्यारी जग मे सबसे न्यारी है मेरी माँ
खुद भुखी सोती है हमे खिलाती है मेरी माँ!
न जाने यह कैसा अनमोल रत्न है मेरी माँ
मुझे रुठे किस्सो पर हंस कर बतलाती है मेरी माँ !!

मेरे दिल की परी है अपनी बात पर खरी है मेरी माँ
मेरे दिल ने कह दिया उसने न मांगे दे दिया !
वह गिले पर सोती है हमे सुखे मे सुलाती है मेरी माँ
अपने लहु का कण-कण एक करके दुध पिलाती है मेरी माँ!!

अपने जीवन की सारी खुशिया मुझे देती है मेरी माँ
मा यह सब कैसे करती हैं मेरी माँ!
मेरे बुलन्द हौसलो को उडान देती हैं मेरी माँ
मेरी टुटी हर उम्मीद फिर से जगा देती हैं मेरी माँ!!

जब दुर तेरे से होता हु मेरी मा सच कहु तो रोना होता हैं मेरी माँ!
हर ख्वाहिश पूरी कर लेती हो मेरी माँ
सच की राह पर चलना सिखाया हैं तूने मेरी माँ
जीवन चलाने का सही पथ बताया तूने मेरी माँ!!

मेरा दुख मेरा होने से ज्यादा तुमे होता हैं मेरी माँ
मेरा सुख मेरा होने से ज्यादा तुमे खुशी होती हैं मेरी माँ!
किस हाथ सेे लिखु तेरा अनमोल प्यार मेरी माँ
यह कलम भी शर्माता हैं तेरी वहा-व्हाई लिखने मेरी माँ!!

परिचय :-पारस चवदहिया
पिता : कुम्पाराम जी
माता : धन्नी देवी
जन्मदिवस : ०५-०७-२००२
पता : धारासर का तला बायतु भीमजी बायतु बाड़मेर (राजस्थान)
बाड़मेर, राजस्थान निवासी पारस चवदहिया अपनी शिक्षा स्नातकोर (कला वर्ग) बी.ए. द्वितीय वर्ष में अध्यनरत है वर्तमान में आप प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है इनको शायरी, कविता, गजल और निबंध लेखन का बहुत शौक है इन्होंने अपने स्कुल और अपने महाविधालय में चित्रकला के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, आप श्री शैलेश लोढा को अपना आर्दश मानते है।
 सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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