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जीने का सलीका
कविता

जीने का सलीका

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम शब्दों की बात करते हो हम तुम्हें निशब्द ही घायल कर देंगे। तुम खूबसूरती की बात करते हो हम तुम्हें सादगी से ही कायल कर देंगे। तुम हमें आधुनिकता के बोझ तले दबाते आये हो हम तुम्हें अपनी परंपराओं के बल पर ही उठ कर दिखा देंगे। तुम हमें दिखावे में पनपनमा सिखाते हो हम तुम्हें सादगी से ही तुम्हें जीना सिखा देंगे। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
रिमझिम-रिमझिम
कविता

रिमझिम-रिमझिम

ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' तिलसहरी (कानपुर नगर) ******************** रिमझिम-रिमझिम बारिश है छिमछिम, भीगने से अपने को, सदा ही बचाइए। बारिश में लेलो छाता, बहुत जरूरी नाता, इसको कभी भी मत, भूल से भुलाइये। भूले यदि तुम छाता, बने सरदी से नाता, जान बूझ कर कभी, रोग न बुलाइये। मानो तुम मेरी बात, कितनी हो बरसात, घर मे रहकर ही, पकौड़ी बनाइये।। परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्तव 'ओम' जन्मतिथि : ०६/०२/१९८१ शिक्षा : परास्नातक पिता : श्री अश्वनी कुमार श्रीवास्तव माता : श्रीमती वेदवती श्रीवास्तव निवासी : तिलसहरी कानपुर नगर संप्रति : शिक्षक विशेष : अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच उत्तरीभारत इकाई, रा.उपाध्यक्ष, क्रांतिवीर मंच, रा. उपाध्यक्ष प्रभु पग धूल पटल, रा.मीडिया प्रभारी-शारदे काव्य संगम, प्रभारी हिंददेश उत्तरप्रदेश इकाई साहित्यिक गतिविधियां : विभिन्न ...
दिल आजकल कहीँ न ये लगता तिरे बग़ैर।
ग़ज़ल

दिल आजकल कहीँ न ये लगता तिरे बग़ैर।

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** दिल आजकल कहीँ न ये लगता तिरे बग़ैर। आती नहीं है रास ये दुनिया तिरे बग़ैर।। तू तो गया है अपने सफ़र पर कहीं मगर। तबसे ही दिल मिरा नहीं धड़का तेरे बग़ैर।। हर लम्हा मुन्तज़िर है मिरा तेरे वास्ते। लगता नहीं है मुझको तो अच्छा तिरे बग़ैर।। तेरे बिना तो ज़िन्दगी होगी नहीं बसर। मरना मुहाल हो गया मेरा तेरे बग़ैर।। तू क्या गया कि टूट गई है मिरी उमीद। हर सिम्त हो गया है अँधेरा तेरे बग़ैर।। खाने को दौड़ती है ज़माने की हर ख़ुशी। किस-किस तरह से दिल को सँभाला तिरे बग़ैर।। अब तो बहार में भी ख़िज़ा की चुभन लगे। लगता 'शलभ' बसन्त भी फीका तिरे बग़ैर।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्...
दो शब्द
कविता

दो शब्द

राजीव रावत भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** जिंदगी और मोहब्बत की ऊंचाइयों में एक बहुत ही अजीब अंतर होता है-- एक का पैमाना छूना आकाश के तारों को और दूसरे का समुन्दर होता है- जब जिंदगी में सीढ़ियों को चढ़ते हुए चांद तारों को तोड़ लाते हैं, सफलता के झंडे जब हमारे चारों ओर फहराते हैं- यही पैमाना ही जिंदगी की तब ऊंचाइयों का नाप होता है-- और मोहब्बत में जितना डूबो देते हैं अपने आप को उतना ही उसके इश्क की बुलंदियों का माप होता है-- मोहब्बत शरीर से हो या नश्वर से कोई अंतर नहीं होता है-- बस डूब कर उबरना ही इसका मंतर होता है- जितना डूब जायेंगे और थाह ले लेगें गहराईयों की- उतनी सीढ़ियों अपने आप चढ़ जायेगें आस्था और मोहब्बत की ऊंचाइयों की- माना की मोहब्बत की राह कटंको और रूकावटों और बंधनों से भरी दुरूह होती है- लेकिन मात्र तन की अभिलाषा प्यार-इश्क-म...
हिंदी हमारी
आलेख

हिंदी हमारी

मनोरमा जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी हमारी संस्कृति की घरोहर है हमारे संस्कार की सहज भाषा हिंदी ही है इसे हर हाल मे श्रेष्ठता का दर्जा मिलना चाहिए हिंदी राष्ट्रीय भाषा होना चाहिए। हमारे आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंन्दु हरिश्चंद्र जी ने प्रथम दोहा लिखा था। निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, पै निज भाषा ज्ञान बिन, मिटे न हिय को शूल। हमारी मात्र भाषा हिंदी का मान होना चाहिए, हिंदी भाषा हमारी वंदेमातरम की शान है, देश का मान है अभिमान है और सब भाषा से सरल सहज है। हमारे संविधान का गौरव भी हिंदी है भारत की आत्मा चेतना हिंदी है फिर क्यु? न हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी होना चाहिए आदर्शों की मिसाल है सूर और मीरा बाई की तान भी हिंदी है हमारे वक्ताओं की शक्ति हिंदी है फूलों की खुशबूओं सी महकती हमारी हिंदी है। मां की बोली से प्रथम संवेदना मे बच्चा माँ कहता...
हिन्दी मेरी माँ
गीत

हिन्दी मेरी माँ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मैं हिन्दी का बेटा हूँ हिन्दी के लिए जीता हूँ। हिन्दी में ही लिखता हूँ हिन्दी को ही पढ़ता हूँ। मेरी हर एक साँस पर हिन्दी का ही साया है। इसलिए मैं हिन्दी पर जीवन को समर्पित करता हूँ।। करें हिन्दी से सही में प्यार भला कैसे करें हिन्दी लिखने, पढ़ने और बोलने से इंकार। क्योंकि हिन्दी बसती है हिंदुस्तानीयों की धड़कनों में। इसलिए तो प्रेमगीत भक्तिगीत हिन्दी में लिखे जाते। जो हर भारतीयों का गौरव बहुत बढ़ाते है।। करो हिन्दी का प्रचार प्रसार तभी तो राष्ट्रभाषा बन पायेगी। और हिन्दी भारतीयों के दिलो में बस पायेगी। चलो आज लेते हैं हमसब एक शपथ, करेंगे हर काम आज से सदा हिन्दी में। तभी मातृभाषा का कर्ज उतार पाएँगे और सच्चे भारतीय कहलाएँगे।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में क...
मिट्टी मेरी शान
दोहा

मिट्टी मेरी शान

गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' मेरठ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मेरा देश है, मिट्टी मेरी शान । कहो गर्व से देश की, हिन्दी है पहचान ।। एक देश है विश्व में, भारत जिसका नाम । बसते धर्म अनेक है, सबको करूँ प्रणाम ।। हिन्दी आत्मा है यहाँ, संस्कृत सबका साज़ । पावन धरती देश की, हिन्दी है आवाज़ ।। पग-पग बदले बोलियां, कदम-कदम पर रूप । एक समय में सब मिले, कहीं छाँव तो धूप ।। परिचय :- गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' निवासी : मेरठ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
हमारी आन बान शान है हिन्दी
कविता

हमारी आन बान शान है हिन्दी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हमारी आन बान शान है हिन्दी हमारी अपनी पहचान है हिन्दी आँग्ल भाषा आये या कि जाये यही हमारी भूषित भाल बिन्दी कलेवर भाव भाषा व ज्ञान के अप्रतिम क्षमता हैं पहचान के नित नये आयाम को गढती सरकती, बहती और बढती विविध बोलियों को अपनाती अपनी छाप सर्वत्र छोड़ आती यही तो कैलाशपति की नन्दी यही है हमारी अपनी हिन्दी इसमें तुलसी सूर कबीर मीरा केशव भूषण मतिराम धीरा प्रसाद, पंत, महादेवी, निराला दिनकर मैथिली शरण आला अनगिन मनीषियों के विचार व्यक्त हुये हैं लेकर सदाचार वहन करती ज्ञान की गंगा इसमें रहते मुरलीधर त्रिभंगा यह भाषा नहीं वरदान है हिन्दी स्वदेश का स्वाभिमान है हिन्दी हृदय में बसी हुई आन है हिन्दी हमारी यही पहचान है हिन्दी। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम....
हिन्दी है अनमोल
गीत

हिन्दी है अनमोल

गीता देवी औरैया (उत्तर प्रदेश) ************* (तर्ज- सावन का महीना पवन करे सोर) हिंदी भाषा अपनी है सबसे अनमोल, अन्य भाषा का इसके आगे चले न कोई जोर। जन्मी है हिंदी भाषा कहां से रे भैया, संस्कृत मानी जाए इनकी रे मैया। संस्कृत से मिले हैं गुण सारे अति घोर, अन्य भाषा इसके आगे चले न कोई जोर।। हिंदी भाषा .... अन्य भाषा.... रस छंदों का यहाँ पुंज है सारा, संज्ञा विशेषण और हैं अलंकारा। हिंदी का महत्व फहलाऊँ चहुँओर, पर भाषा का इसके साथ, नहीं है कोई जोड़।। हिंदी भाषा.... पर भाषा का.... हिंदी हमारी अब बने राष्ट्रभाषा, सपना यही मन में देश सजाता। मान मिले हिंदी को करें सभी अब गौर, अन्य भाषा इसके आगे, चल न पाए जोर।। हिंदी भाषा अपनी है सबकी सिरमौर, अन्य भाषा का इसके आगे चले न कोई जोर।। परिचय :- गीता देवी पिता : श्री धीरज सिंह निवासी : याकूबपुर औरैया (उत्तर प्रदेश) ...
अभिवादन
कविता

अभिवादन

डॉ. सरोज साहू भिलाई, (छत्तीसगढ़) ******************** हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइए, सॉरी सॉरी कह कर, गलतियां न दोहराइये, माफ कीजिए कहकर, माफी ले जाइए, हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइए, गुड मॉर्निंग बोलकर, अंग्रेज न बनते जाइये, सुप्रभात कहकर, दिन को सुंदर बनाइए, हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइये, गुडबाय से लगता है ऐसे, जैसे जल्दी नाता छुडाइये, फिर मिलेंगे कहकर, आत्मीयता बढाइये, हिंदी से प्रेम है तो, अभिवादन करना सीख जाइए..!! परिचय :- डॉ. सरोज साहू निवासी : भिलाई, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्...
नहीं शर्म मुझे कहने में
कविता

नहीं शर्म मुझे कहने में

रिंकी कनोड़िया सदर बाजार दिल्ली ******************** नहीं शर्म मुझे कहने में, यह मेरी भाषा है! जिससे मेरा आधार बना, मेरी संस्कृति से जिसका नाता है! खूब सीखा है मैने इसके अस्तित्व से, यह सबसे प्यारी है! सोचू जिस भाषा में, तो बोलने में क्यों हिचक जारी है? बना था जिससे और हूँ जिससे, वो मेरी हिंदी न्यारी है! इतिहास और साहित्य की जुड़ी कड़ी इससे भारी है, आज हिंदी दिवस पर इसके सम्मान की बारी है! गर्व से कहता हूँ, यह हिंदी हमारी है! यह हिंदी हमारी है!. परिचय :- रिंकी कनोड़िया निवासी : सदर बाजार दिल्ली घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
श्री सरगम महान
कविता

श्री सरगम महान

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** श्री सरगम गुरु सबसे महान नितिन कहे श्री की कथा महान है सबसे महान गुरु गुणगान तर जाए जगत कर गुरु अमृत पान प्रशंसा गूंज रही चहुं दिशाओं से बरस रहा श्री ज्ञान बड़ी दुआओं से छात्र पहुंच रहे बड़े मन भाव से ताकि हो शीतल उस अमृत पान से प्रशंसा मेरे कानों तक भी पहुंच गई कानों में मधु मन में इच्छा छोड़ गई मैं भी श्री सरगम दर्शन पाऊं तुच्छ जीवन को भव पार लगाऊं सो जा ग्राम में शरण में उनकी किए बिना कोई सोच विचार तब मिली शांति मुझको मनकी शांत हो गया मन का हाहाकार हाथ रख कर श्री ने सिर पर मेरे कोमल स्वर में ऐसे बोले मधु झड़ रहा हों घर से उसके ले लेकर मंद पवन के झटके पुत्र तेरे सारे कष्ट कट जाएंगे तेरी ही मेहनत के कारण तेरे मार्ग प्रस्त हो जाएंगे मैं कुछ नहीं करूंगा फिर भी अपनी ही मेहनत के कारण तू समस्त लक्ष्य पा जाएग...
धीरे-धीरे रे मना
कहानी, नैतिक शिक्षा

धीरे-धीरे रे मना

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** "अरे चुन्नू ! क्या सारा दिन खेलते रहोगे। पता है, छः माही सर पर आ रही है। पढ़ाई के लिए स्कूल ने छुट्टी रखी है और मैं भी तुम्हारे लिए घर पर हूँ। तिमाही का रिज़ल्ट देखकर पापा ने कितनी डाँट लगाई थी, याद है न। चलो जल्दी से पढ़ने बैठो।" कामवाली सरयू अभी तक आई नहीं है। धैर्या पोहे धोकर प्याज़ काटने बैठ जाती है। आँखों से झरते पानी में मिले बहू के आँसू अम्मा को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। उन्होने भी तीन तीन बच्चों को पाला है। दोनों बेटियाँ सुघढ़ता से गृहस्थी चलाते हुए नौकरी भी कर रही हैं। और बेटा भी अपने कर्तव्य निभा रहा है। बस तीनों को नियमित अभ्यास करने बिठा देती थी। ख़ुद तरकारी भाजी साफ़ करते हुए उनकी कॉपियाँ भी देखती जाती। फ़िर तीनों मस्ती में खेलते-कूदते रहते थे। तभी बहू ने नाश्ते के लिए आवाज़ लगाई। सही मौका देख उसे टेबल पर हिदायतें देने लगी- "बि...
भाती है हिन्दी
गीत

भाती है हिन्दी

प्रमोद गुप्त जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** हमको सारा ज्ञान सिखाती है हिन्दी। भाती है, बस हमको भाती है हिन्दी। माँ के संग तूने ही जीना सिखलाया, कैसे बने महान तुम ही ने समझाया, संस्कारों को आचरण से कैसे जोड़ें - बचपन से, यह हमें बताती है हिन्दी। एक-दूजे को जोड़े, ऐसी कड़ी है तू, इसीलिए सब भाषाओं से बड़ी है तू, अन्य-अन्य भाषाओं के भी शब्दों को- अपना समझ के गले लगाती है हिन्दी। सभी विषय का ज्ञान समाया है तुझमें, श्रेष्ठ-जीवन का रहस्य भी पाया है तुझमें, व्यवहार करें हम कैसा, कहाँ जानते थे- हमको सामाजिक-ज्ञान कराती है हिंदी। परिचय :- प्रमोद गुप्त निवासी : जहांगीराबाद, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) प्रकाशन : नवम्बर १९८७ में प्रथम बार हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेठ मासिक पत्रिका-"कादम्बिनी" में चार कविताएं- संक्षिप्त परिचय सहित प्रकाशित हुईं, उस...
राष्ट्र का मान
कविता

राष्ट्र का मान

सुभाष बालकृष्ण सप्रे भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी है हमारे, राष्ट्र का मान, जग मेँ मिला है इसे सम्मान, गति इसकी कभी न रुक सकी, इसकी प्रगती का हमेँ अभिमान, बहुत दम्भ था आंग्ल भाषा को, हिंदी को मिल गया तीसरा स्थान, नहीँ वो दिन, अब अधिक दूर, हिंदी को मिलेगा सर्वोच्च स्थान, मृग मरीचिका है, विदेशी भाषा, रक्खो सदा तुम, इसका ध्यान, नासा मानता इस शक्ती का लोहा, होना चाहिये सबको इसका भान, सँगणक की अब भाषा,होगी हिंदी, गर्व से करो, इसका मान सम्मान करनी है शुरुवात नये पहल की, गर्व से गाओ हिंदी के सब गान परिचय :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक ...
उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर
कविता

उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर

गगन खरे क्षितिज कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश) ******************** अपने अल्फाजौं को सजाया है तुम्हारे लिए खुबसूरत ग़ज़ल के रूप में, सामने जब भी आते हो एक नये अंदाज में संवर जाती हैं जिन्दगानी मेरी, बन के लबौं पर आ जाती हो ग़जल बनकर । आरज़ू यही है बस तुम्हारी खुशी में ही है छिपी मेरी खुशी, उल्फत में जलजाने की परवाने की तरह चाहत लिए संवर जाती है जिन्दगी मेरी एक नई ग़ज़ल बनकर । परिंदों की उड़ान भरने लगती जब मेरी तमन्नाएं खूबसूरत असमान के क्षितिज पर नई तस्वीर बन जाती हो तुम मेरी ग़ज़ल बनकर। खिलते कुसुम पर मुस्कुराती शबनम, उषा की किरणों की हंसीन लालीमा लिए गगन अल्फ़ाजौं में उनकी मासूमियत संवर जाती हैं, एक नये अन्दाज लिए और लबौं पर उभर आती हो तुम ग़ज़ल बनकर । परिचय :- गगन खरे क्षितिज निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश उम्र : ६६वर्ष शिक्षा : हा...
हिंदी भाषा
कविता

हिंदी भाषा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी का गुणगान निरन्तर, करता रहता है जग सारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। कोटि-कोटि कंठों को प्यारी, बिटिया है वैदिक भाषा की। हिंदी तो सस्वर प्रतिमा है, भारत माँ की अभिलाषा की। देवनागरी लिपि है अनुपम, सरल व्याकरण इसका न्यारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। ब्रज, अवधी या बुन्देली हो, अथवा कन्नोजी हो बोली। मुखरित होती हैं भारत में, हिंदी की हैं सब हमजोली। भारत के जन-जन ने इसको, अपनाया है बहुत दुलारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। दूर देश में भी हिंदी ने, विजय पताका फहराई है। कहाँ नहीं हिंदी की महिमा, कहाँ नहीं हिंदी छाई है। सभी दिशाएँ हुईं साक्षी, गूँज रहा हिंदी का नारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। परिचय -  रशीद अहमद शे...
अवनी
लघुकथा

अवनी

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** महामारी में बहू की मृत्यु के बाद और बेटे की नौकरी छुटने के बाद भी सविता काकी ने हार न मानी गांव की महिलाओं के कपड़े सीने के कारण सब उन्हें सविता काकी कहते सविता अपने बेटे को हिम्मत दिलाने के साथ कक्षा सातवीं में पढ़ रही अपनी पोती अवनी को भी दुलारती अच्छी बातें कहती शाला में सारी खेल सुविधाएं होने के कारण अवनी अच्छा निशाना लगाती, पढ़ाई में भी तेज और अन्य गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती शिक्षकों ने उसकी लगन देखकर उसे तीरंदाजी के लिए अन्य शहरों में भेजा अवनी वहां प्रथम आई हर दिन उसे प्रोत्साहित करती घर पर सिमित साधनों से वह निशाना लगाती पिता सब देख खुश होते पर बेरोजगारी की टीस उन्हे झकझोर देती अन्य चार शहरों में प्रथम आने के बाद शाला की ओर से उसे राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में भेजा इस प्रतियोगिता में भी अवनी अव्वल रही राज्य ...
आया शुभ दिन क्वांर का…
कुण्डलियाँ

आया शुभ दिन क्वांर का…

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** आया शुभ दिन क्वांर का, ले पितरों को साथ । इन्हे मनालो प्रेम से, चरणों में धर माथ ।। चरणों में धर माथ, श्राद्ध तर्पण सब कर लो । इनका शुभ आशीष, शीश पर अपने धर लो ।। कहे राम कर जोर, मिले नित इनका साया । यह शुभ अवसर आज, खुशी लेकर के आया ।। पाया हमने पुण्य से, मानव का तन सार । नीति धर्म संस्कार का, करलें खूब विचार ।। करलें खूब विचार, नेक राहों पर चलना । ऐसा हो ब्यवहार, सदा अनुशासित रहना ।। कहे राम कर जोर, प्रभु की सब है माया । यह उसका उपहार, आज है हमने पाया ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अ...
संस्कृति की शान हिंदी
कविता

संस्कृति की शान हिंदी

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज' बागबाहरा (छत्तीसगढ़) ******************** हिंदी, हिन्दू हिंदुस्तान है हिंदी निज गौरव का ये अभिमान हिंदी संकल्प है विश्व की भाषा बने हिंदी हम भारतीयों ये अभिलाषा हिंदी गौरव महिमा का गान बने हिंदी संसार का मान और सम्मान बने हमारे भारत की सभ्यता है हिंदी हिन्दू संस्कृति की सम्मान है हिंदी जाती धर्म से हटकर ऊपर है हिन्दी भारतीयों के शान की पहचान हिंदी है विश्व भाषा यह बने सर्वमान्य हिंदी जन जन की आशा और विश्वास है हिंदी विश्व भाषा का अनुवाद है हिंदी संवाद का अत्यंत सरल साधन हिंदी साहित्य जगत का सृजन है हिंदी सभी की सर्वमान्य भाषा बने हिंदी अपनेपन का भाव जगाए हिंदी सबका प्यारा सबका दुलारा हिंदी सब भाषा से रिश्ता रखती हिंदी समरसता का भाव जगाती हिंदी जन भाषा का संदेश बने हिंदी दृढ़ संकल्पों सभी की भाषा हिंदी विश्व पटल पे सम्मान मिले हिंदी बन...
न जाने कब वो
कविता

न जाने कब वो

कीर्ति सिंह गौड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** न जाने कब मेरी बोली सुनकर वो बोलना सीख गया। न जाने कब मेरी उँगली पकड़कर वो चलना सीख गया। उसके बचपन में, मैं अपनी ममता को जीती रही। मेरा चेहरा देखकर न जाने कब वो हँसना भी सीख गया। मेरी अमावस की रात सी ज़िंदगी में, वो चाँद की चाँदनी सा बिखरना सीख गया। न जाने कब उसका कांधा मेरे कांधे तक आ गया फिर वो अपनी ज़िदों पर मचलना भी सीख गया। कभी-कभी छुपा लेती हूँ अपने जज़्बात उससे-२ पर न जाने कब वो मेरी आँखों को पढ़ना सीख गया। जगाता था जो कभी रात भर मुझे रो-रो कर आज वो मेरी खैरियत में रातभर जागना सीख गया। परिचय :- कीर्ति सिंह गौड़ निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
हिन्दी
कविता

हिन्दी

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** आओं मिल राष्ट्र का मान बढ़ाएं, हर क्षेत्र में भाषा हिन्दी अपनाएं। जनचेतना का आधार है हिन्दी, माँ के वात्सल्य सी है हिन्दी।..... हिंदोस्तां की ज़ुबां है हिन्दी, वतन की आन बान शान है हिन्दी। हमारी असली पहचान है हिन्दी, भारतवंशी का अभिमान है हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।.... हिन्द राष्ट्र की आशा हिन्दी, जन जन की मातृभाषा हिन्दी। जात-पात के बंधन को तोड़ती हिन्दी, एकता सूत्र में सब को जोड़ती हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... गणराज्य की आधिकारिक भाषा है हिन्दी, हमारी संस्कृति-समृद्धता का प्रतीक है हिन्दी। राष्ट्रभक्ति भावना को प्रेरित करती हिन्दी, धाराप्रवाह से बोलने वाली मातृभाषा हिन्दी। जनचेतना का आधार है हिन्दी।..... दुनिया में सम्मान व स्वाभिमान दिलाती हिन्दी, हमारे प्रांतों की क्षेत्...
उठो वीर तुम
कविता

उठो वीर तुम

भुवनेश नौडियाल पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) ******************** उठो उठो तुम, वीर सपूतों, भारत का नवनिर्माण करो चिंगारी की ज्वाला बनकर, भारत का उद्धार करो उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो भ्रष्टाचार की जंजीरों को, अर्पण हुताशन को कर दो स्वप्न जो देखा है भारत का, उसे उजागर, तुम कर दो उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो विश्व गुरु का सपना जो, देखा है, वीर सपूतों ने भ्रष्टाचार की अग्निशिखा, फैली है चहु दिशाओं में उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो आजादी की लहरों को, फिर से उमड़कर आने दो सच्चाई की मूरत को, दिल में बसाकर तुम रख लो उठो उठो तुम ....नवनिर्माण करो परिचय :-  भुवनेश नौडियाल पिता : स्व. श्री जवाहर नौडियाल माता : मधु देवी निवासी : पालसैण, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
अपनी प्यारी हिन्दी
कविता

अपनी प्यारी हिन्दी

मनीषा जोशी खोपोली (महाराष्ट्र) ******************** हिन्दी भाषा आन है अपनी हिन्दी भाषा शान है अपनी। हिन्दी भाषा रत्न है अपनी। यह उत्सव है,जश्न हैअपनी। गागर में सागर यह भरती। चमत्कार शब्दों से करती। दादी,नानी के क़िस्सों में बसती। माँ की हर लोरी में सजती। खुशबू बनकर महक रही है। सूरज बनकर चमक रही है। सुंदर सरल अनोखी हिन्दी। है संस्कृत की बेटी हिन्दी। भारत की पहचान है हिंदी। हम सबका अभियान है हिन्दी। हिंदी अपनी और बढ़ेगी। दुनिया का सिरमौर बनेगी। अ से अज्ञानी तक चलती । ज्ञ से ज्ञानी तक ले जाती। जीवन की परिभाषा हिंदी। हम सब की अभिलाषा हिंदी। परिचय : मनीषा जोशी निवासी : खोपोली (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच ...
आज एक लड़का भागा है
लघुकथा

आज एक लड़का भागा है

रजनी झा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज शाम शुक्रवार सेसोमवार सुबह ६ बजे तक ६० घंटे का लॉकडाउन लगने वाला है इस लिए आज शाम होने से पहले अपने गांव के लिए रवाना होने वाली थी साक्षी अपने परिवार के साथ तभी उसकी सास का कॉल आया बातों-बातों में उन्होंने बताया की गांव की एक लड़की पड़ोस के लड़के के साथ भाग गई है उसके घर वाले उस लड़की को कोस रहे हैं ना जाने कीतनी मन्नतों से पैदा हुई थी, पैदा होते ही पुरे गांव में लड्डू बांटा था, पलकों पर बैठाकर रखा था, नन्हीं परी बुलाते थे उसे अब तक, अरे! किसने जाना था की इस परी के भी पर निकल आए हैं। इतना बड़ा कदम उठाने से पहले उसने अपने माँ-बाबा के बारे में तनिक भी ना सोचा, घर वालों की इज्जत मट्टी में मिला दी कल्मुही, रांड कहीं की। अगर पहले पता चल जाता की ऐसे गुल खिलाने वाली है तो अब तक शादी ही करा देते उसकी। मैं तो कहती हूँ गलती घर वालों की भी है ब...