जीवन क्रीड़ा
डॉ. राजीव डोगरा "विमल"
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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सोच न बंदे गंदगी
तु कर ले ईश्वर की बंदगी।
यही तो जीवन की मर्यादा है
तु खुद का ही भाग्य विधाता है।
अजर अमरता को रहने दें
जीवन को विभिन्न सुर में बहने दें।
जीवन में जो भी आता है
उसको उल्लास से आने दें।
जीवन से जो भी जाता है
उसको भी मुस्कुराते हुए जाने दें।
मस्ती को अपनी हस्ती में रहने दें
जीवन को सस्ती बस्ती में बहने दें।
परिचय :- डॉ. राजीव डोगरा "विमल"
निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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