सुनो प्राणप्रिय
अर्पणा तिवारी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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सावन का मोर संग
लहरों का शोर संग
पतंग का डोर संग
चांद का चकोर संग
रातों का जो भोर संग
नाता ज्यों सुहाना है
सुनो प्राणप्रिय तुम्हे मुझे
संग संग ऐसे ही निभाना है।
नदी का किनारों संग
फूलों का बहारों संग
डोली का कहारो संग
नैनों का इशारों संग
मौसम का नजारों संग
नाता ज्यों सुहाना है
सुनो प्राणप्रिय तुम्हे मुझे
संग संग ऐसे ही निभाना है।
मन का जो मीत संग
जग का जो रीत संग
पाती का जो प्रीत संग
बाती का जो दीप संग
स्वाति का जो सीप संग
नाता ज्यों सुहाना है
सुनो प्राणप्रिय तुम्हे मुझे
संग संग ऐसे ही निभाना है।
गीत का संगीत संग
प्यासे का जो नीर संग
पंछियों का जो नीड़ संग
काजल का जो दीठ संग
आंसू का जो पीर संग
नाता ज्यों सुहाना है
सुनो प्राणप्रिय तुम्हे मुझे
संग संग ऐसे ही निभाना है।
जग बैरी रूठे चाहे
सांसों की ये माला टूटे
शूल मिले चाहे मुझे
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