कर्तव्य की वेदी पर
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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कर्तव्य की वेदी पर
शीश नवा रहा हूँ
लेकर हाथों में हाथ
संबल दे रहा हूँ
सता रही है
घर की यादें
यादों में ही जी रहा हूँ।
दरवाजे तक आती होगी
बिटिया,
मेरी राह तकती होगी
बिटिया,
सुनी-सुनी नजरें
माँ से कुछ पूछती होगी
सपनो का दुशाला ओढ़े
फिर सो जाती होगी
बिटिया।
मैं उसके सपनो में
जाने की सोच रहा हूँ।
कर्तव्य की वेदी पर
शीश नवा रहा हूँ।
वसुधैवकुटुम्बकं के
संस्कारो में पला बढ़ा हूँ
कैसे तज दू किसी को
विपत्ति में,
मानवता का फर्ज
निभा रहा हूँ।
कर्तव्य की वेदी पर
शीश नवा रहा हूँ।
नर में हो रहे दर्शन
नारायण के,
देख कर निःसहाय
होठों पर मृदुल हास्य
की लकीर,
जीवन सार्थक कर रहा हूँ
कर्तव्य की वेदी पर
शीश नवा रहा हूँ।
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परिचय :-
नाम : धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी...























