अश्रु क्यों बहा रहे हो …
विनोद सिंह गुर्जर
महू (इंदौर)
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होटलों में मस्त खाना खा रहे हो।
नाच रहे फूहड़, कुछ भी गा रहे हो ।।...
आज कुपोषण से गृसित है बालपन,
तुम सुरा में मस्त डूबे जा रहे हो।।...
अबोध बच्चों से कराते काम हो,
हाय, ऐसा जुल्म क्यों तुम ढा रहे हो।।..
नग्न होकर नाचना, ताली बजाना,
कौनसा, कैसा जमाना ला रहे हो।।..
तुम गरीबों के वसन को नोचकर,
कुबेर का सारा खजाना पा रहे हो।।...
दीन दुखियों के आंसू रूक पोंछ दे,
अनंत सुख पाने में क्यों शरमा रहे हो।।..
कृष्ण बनना है तो प्रेम को सीख लो,
कंस के नाम अश्रु क्यों बहा रहे हो।।...
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परिचय :- विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता र...



















