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दोहे

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’
जौनपुर (उ.प्र.)

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कबहुँ भरम मत पालिए भ्रम देता भरमाय।
होत सामना सत्य का अक़ल जात चकराय

ईश्वर कर ऐसी कृपा शत्रु न कोमा जाय।
हरण करे हर क्लेश का हर पल रहे सहाय

अहंकार एक रोग है बच के रह इंसान।
चक्रव्यूह में गर फँसा बचे न शायद जान

मन में ईर्ष्या द्वेष अगर है, है दुनिया से बैर
जलेगी तिल तिल ज़िंदगी ख़्वाब रहेगा ख़ैर

अतिशय प्रेम या क्रोध में वचन न दीजे कोय
अपयश आता भाग्य में कष्ट असीमित होय

छल प्रपंच से दूर हमेशा इंसा रहना सीख
होत हिक़ारत हर जगह माँगे मिले न भीख

हर मज़हब का मानिए मक़सद केवल एक
सबका ‘साहिल’ एक है माना मार्ग अनेक

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लेखक परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’
निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश
सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश


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