पत्थर
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रचयिता : विनीता सिंह चौहान
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
समेटकर कल्पनाओं में सजा लिया।
दोस्तों मैं तो बेआसरा थी,
उन पत्थरों से आशियाना बना लिया।
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
जोड़कर हद ए दायरा बना लिया।
अपनी तन्हाइयों व ज़माने के लिए,
उन पत्थरों से दीवारें दरम्याना बना लिया।
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
इकट्ठे कर करीने से जमा लिया।
दिल ए इबादत व ख़ुदा के बीच,
उन पत्थरों से पुल दरम्याना बना लिया।
ज़माने ने जो पत्थर मारे,
तराशकर उनसे मुज़स्समा बना लिया।
श्रद्धा से मंदिर में उसे विराजा,
भक्तों को मैंने पत्थरों का दीवाना बना दिया।
लेखिका परिचय :- नाम :- विनीता सिंह चौहान
पति का नाम :- डॉ ए पी एस चौहान
पिता का नाम :- जय कुमार सिंह
माता का नाम :- श्रीमती केतकी सिंह
शैक्षणिक योग्यता :- एम.एससी. (प्राणीशास्त्र) , बी.एड.
जन्मतिथि :- ०८/०२/१९७४
जन्मभूमि :- भिलाई (छत्तीसगढ़ )
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