मालवी लोकगीतों की पृष्ठभूमि एवम सामाजिक परिस्थिति
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रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद"
लोकगीत मानव ह्रदय की सरल, सहज एवम नैसर्गिक अभिव्यक्ति है। जिसमे भाव, भाषा और छंद की नियमितता से मुक्त रहकर स्वच्छंद रूप से निःसृत होने लगते है। इन सहज-स्वाभाविक गीतों के मूल में सम्पूर्ण विश्व की प्रतिपल घटित एवम परिवर्तित परिस्थितियां ही प्रेरणा रूप में विद्यमान है।
लोकगीत भावों की अभिव्यक्ति की एक विधि है। लोकगीतों की मूल प्रेरणा वही है जो अभिव्यक्ति की अन्य विधाओं की है। मालवी लोकगीतों की पृष्ठभूमि के रूप में भी अभिव्यक्ति की इन मूल प्रेरणाओं को स्वीकार किया जा सकता है। ये है- सामाजिक,धार्मिक आर्थिक, राजनैतिक, पारिवारिक आदि परिस्थितियां। इसमे हम केवल सामाजिक परिस्थितियों पर ही हम मंथन करेंगे..............
समाज, मानव द्वारा निर्धारित व स्वीकृत वह जीवन पद्धति है जिसके द्वारा प्रत्येक मनुष्य जीवन पर्यंत संचालित ह...






















