हुआ क्या … ?
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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खुली आँख थी या कि तुम सो रहे थे,
कहीं उड़ गया था तुम्हारा सुआ क्या ?
घटना घटी देखकर पूछते हो !
हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या??
निजी स्वार्थ में इस तरह रंँग गए हो,
किसी दूसरे रंग में जी न पाए।
सदा दूसरों को दिया कष्ट तुमने,
सुखी जिन्दगी को समझ भी न पाए।।
कपट लोभ लालच छुपाया सभी से,
बताते सभी को बताती बुआ क्या?
बहाने बना कर उलट पूछते हो!
हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या??
नशे के विकट जोश में होश खोकर,
स्वयं को स्वयंभू गुणागार माना।
परम वैभवी दिव्यता छोड़ बैठे,
दुराचार को ही सदाचार जाना।।
अकड़ में तने ही रहे हिमशिखर से,
तुम्हारे अहम ने कभी नभ छुआ क्या?
तुम्हें सब पता है मगर पूछते हो!
हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या? हुआ क्या??
विषय की विकारी मनोरम्यता में,
रमे तो किसी की ...





















