मातृत्व दिवस
किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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माँ को मै पलको पे रख लूँ,
उनकी बाते सर पर रख लूँ,
गुढ रहस्य की बाते माँ मै,
इतिहास के पन्ने हे माँ मै,
जीवन के सब सपने माँ मै,
खाने का भण्डार है।
(अन्नपूर्णा) माँ मै,
बीते दिनो की याद है माँ मै,
संस्कृति और संस्कार है माँ मै,
मान और सम्मान है माँ मै,
दुनिया के हर अनुभव माँ मै।
घर मै एक वर्चस्व ही माँ है,
घर की एक रौनक ही तो माँ है,
बच्चो का तो सब कुछ माँ है,
जीवन का एक पथ ही माँ है,
भले बुरे की पहचान है माँ मै,
मन के भाव की पहचान है माँ मै,
गम को पीना खुशी से रहना,
सबको लेकर साथ है चलना,
यही भाव तो माँ रहता,
घर मै सदा सजग है रहना,
चौकन्ना सदा ही रहना,
यह सब तो माँ मै ही रहता,
मेरा तो यह अनुभव दिल का,
बिन माँ के हम (बच्चा)
पथ विहीन है रहता,
जीवन का पथ माँ से मिलता,
शिखर को छूने का साहस
दे...

















