वात्सल्य सुख
अन्नपूर्णा गुप्ता "सरगम"
मुंबई (महाराष्ट्र)
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गंगा घाट की सीढ़ियों पे बैठ
पैरों को पानी मे लटका कर
उगते सूरज को देखना।
काफी लम्बे समय की प्रतीक्षा का
परिणाम था ये।
हृदय हर्षाया सा
एक टक निहार रहा था
उस सिंदूरी सूरज को।
जिसकी किरणें मचल रही थी
माँ गंगा के आँचल पर
मानो कोई छोटा बच्चा
धूल मिट्टी से खेल लौटा हो।
और अपनी माँ से लिपट-लिपट
उसे वात्सल्य सुख दे रहा हो।
साथ ही उसके शरीर से
चिपकी धूल मिट्टी
माँ के आँचल से लग कर
साफ हो रही हो।
मैंने देखा सूरज की तरफ
वो भी धीरे-धीरे
अपने देह से लिपटे सिंदूरी रंग को
गंगा माँ के आँचल में पोंछ
अपने सुनहरे स्वरूप में
प्रकट होता जा रहा था।
पानी में होती हलचल देख
मैं समझ गयी
माँ मुस्कुराती हुयी
अपने आँचल को
सहज झाड़ कर
साफ कर रही है
सिंदूरी रंग।।
परिचय :- श्रीमती अन्नपूर्णा गुप्ता "सरगम"
जन्म : ०७/०७/१९८४
निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र)
शिक्ष...