खामोशी
कु. आरती सिरसाट
बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
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हर जुबां कुछ कहती है,
खामोशी से हर दर्द सहती है...!
कुछ दर्द का नाम खामोशी है तो
कुछ खामोशी दर्द के नाम है..!!
रात के अंधेरों मे निकलते है, जो
आँसू उनको सह लेती है खामोशी...!
दिन के उजालों मे झूठी सी
मुस्कान दे जाती है खामोशी..!!
न जाने कितनी ही फाइलों
मे दर्ज हुई है, खामोशी...!
कुछ खुली तो कुछ अभी-भी
छुपाई गई है खामोशी..!!
खामोश है आज भी वह
अखबार इस बात से...!
कि फेल न जाए, कोई
अफवाह सच के नाम से..!!
खामोशी से आज भी सह लेता है,
वो टूटा हुआ दिल हर गम...!
कि कोई आँख न हो जाए
उसकी वजह से नम..!!
परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट
निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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