आहिस्ता-आहिस्ता
विश्वनाथ शिरढोणकर
इंदौर म.प्र.
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आहिस्ता-आहिस्ता पास आईयें
आहिस्ता-आहिस्ता ही दूर जाईयें !!
अपनी ही गलतियों का दंड भुगतले
दूसरों के गुनाहों का प्रायश्चित कीजियें
फिर से अनुभव के पहाड़े पढ़ियें
फिर से कुछ नयी गलतियां कीजियें
समझदारी का घमंड पाल लिजियें !!
तू दूर चला गया कि मैं दूर हो गया
इतना भर जोड़- -बाकी कर लीजियें
हल न हो सकने वाला गणित हल कीजियें
निर्लिप्त अलिप्त सी जिंदगी जी लीजियें !!
विकृति की परिधि में आकृति के खेल कीजियें
आदमी के इंसानियत की कीमत लगा लीजियें
परछाई से आसक्ति का मोल चुका दीजियें
जीवित रहने का शोक मना लीजियें
मृत्यु का तो उत्सव ही मना लीजियें !!
मैं ठहर जाता हूँ, आप भी ठहर जाइयें
आती जाती साँसों का मूल्य गिन लीजियें
किस के लिए क्या बचा, कितना बचा?
अब तो इसका हिसाब कर लीजियें
बाद में ही आगे का सफर कीजियें !!
आहिस्ता-आहिस्ता पास आईयें
आहिस्ता-आहिस्ता...