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कविता

आहिस्ता-आहिस्ता
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आहिस्ता-आहिस्ता

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ****************** आहिस्ता-आहिस्ता पास आईयें आहिस्ता-आहिस्ता ही दूर जाईयें !! अपनी ही गलतियों का दंड भुगतले दूसरों के गुनाहों का प्रायश्चित कीजियें फिर से अनुभव के पहाड़े पढ़ियें फिर से कुछ नयी गलतियां कीजियें समझदारी का घमंड पाल लिजियें !! तू दूर चला गया कि मैं दूर हो गया इतना भर जोड़- -बाकी कर लीजियें हल न हो सकने वाला गणित हल कीजियें निर्लिप्त अलिप्त सी जिंदगी जी लीजियें !! विकृति की परिधि में आकृति के खेल कीजियें आदमी के इंसानियत की कीमत लगा लीजियें परछाई से आसक्ति का मोल चुका दीजियें जीवित रहने का शोक मना लीजियें मृत्यु का तो उत्सव ही मना लीजियें !! मैं ठहर जाता हूँ, आप भी ठहर जाइयें आती जाती साँसों का मूल्य गिन लीजियें किस के लिए क्या बचा, कितना बचा? अब तो इसका हिसाब कर लीजियें बाद में ही आगे का सफर कीजियें !! आहिस्ता-आहिस्ता पास आईयें आहिस्ता-आहिस्ता...
सच्चा साथी
कविता

सच्चा साथी

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** प्रभु, पत्नी, सखा और मित्र, कहलाते हैं ये रिश्ते पवित्र, सच्चा साथी, इनको कहेंगे, पल पल अपने साथ रहेंगे। नहीं धन दौलत मिले चाहे, नहीं भैंस, घोड़ा और हाथी, सुख जरूर मिलता है जब, जीवन में मिले सच्चा साथी। बड़े बड़े धोखा दे देते जब, पड़ जाएगा छोटा सा काम, सच्चा साथी पास जब आये, हो सकता है जगत में नाम। जिनका भला लाख करोगे, वो वक्त पड़े तो बने दुश्मन, सारी नेकी पल में भूल जा, बेशक अर्पण कर दे तन मन। सोच समझकर कदम बढ़ाए, जगत में मिलेंगे अल्प अपने, जब विश्वास काम बनने का, चूर-चूर हो जाए सारे सपने। पहला साथी पत्नी कहलाती, सुख सपनों में वहीं मदमाती, पास रहती दुख-दर्द मिटाती, जीवन को पावन कर जाती। सबसे बड़ा सुख कहलाता, पति पत्नी को दुख बतलाता, वो दुखों में भी पति हर्षाती, ऐसे में सच्चा साथी कहाती। सखा व साथी मिले कभी, मन प्रफुल्लित ...
मोहब्बत के पुराने वक्त
कविता

मोहब्बत के पुराने वक्त

आदर्श उपाध्याय अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश ******************** तुम्हारे साथ बिताए हुये हर वक्त का आज भी मुझे ख्याल आता है। क्या अपने होठों पर, मेरे होठों का आज भी तुम्हें स्वाद आता है? तुम्हारा गुलाबी सुर्ख होंठ और घन केशपास आज भी दिल में घर कर जाता है। क्या मेरा बेमतलब और बेवजह बातें करना आज भी तुम्हें मोहब्बत सिखाता है? मुझे ख्याल तुम्हारा हर नखड़ा, हर झिझक, हर ज़िद, हर रूठा हुआ चेहरा याद आता है। क्या पहले जैसा मेरा प्यार और मुझ पर तुम्हारा हक, ना मिलना आज भी तुम्हें तड़पाता है? परिचय :- आदर्श उपाध्याय निवासी : भवानीपुर उमरी, अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक ...
उठ जाओ मेरे हिंदुस्तानी भाई
कविता

उठ जाओ मेरे हिंदुस्तानी भाई

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** उठ जाओ मेरे हिंदुस्तानी भाई देश की हालत कैसी हो आई अन्न दाता जो कहलाते हो मेरे हवा कैसी चली, नही हे पूर्वाई हिज़ाब मे कोई ओर खडा है क्यों पाल रहे अपनी ढीटाई अपने देश से क्यू कर रहे गद्दारी कब लेले ये सरकार अंगडाई तुम भी अपने जख़्म देने वाले भी, आकर बहकावे मे जाल बिछाई तिरंगे से खिलवाड करा कर यारो दुश्मन कोई ओर वो खाए मलाई हर मौसम मे तुम राजा हो भाई फिर से बजा दो खूशी की शहनाई जब जब किसान देश का जगा है कहूँ ओर हे बिजलिया गरजाई हर मौसम के तुम राजा हो "मोहन" फिर से बजे खूशी की शहनाई परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
सिर्फ तेरे लिए लिखता हूँ मैं
कविता

सिर्फ तेरे लिए लिखता हूँ मैं

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** अच्छा लिखता हूँ या खराब लिखता हूँ मैं एक तेरे हुस्न को शराब लिखता हूँ मैं। लिखने का होश भी अब तो रहा नहीं सिर्फ तेरे लिए मेरे जनाब लिखता हूँ मैं। खुद को छिपा के रखी तू सदा नक़ाबों ग़ज़लों में तुझको बेनकाब लिखता हूँ मैं। चाँद का टुकड़ा,मल्लिका-ए-हुस्न भी ना जाने देकर कितने ख़िताब लिखता हूँ मैं। खुद को छोटी कलम समझता हूँ सदा सिर्फ तेरे लिए बनके नवाब लिखता हूँ मैं। कतई ज़हर तो कभी अमृत लगती है तू शोला,शबनम कभी आफ़ताब लिखता हूँ मैं। अनसुलझा सा सवाल रही तू मेरे खातिर तेरे हर सवालों का जवाब लिखता हूँ मैं। रिश्ते का तुमने मज़ाक बनाया था कभी उन्हीं मजाकों पे पूरी किताब लिखता हूँ मैं। परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हि...
मेरे प्यार का फ़लसफ़ा
कविता

मेरे प्यार का फ़लसफ़ा

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** कुछ ऐसा है मेरे प्यार का फ़लसफ़ा खुश रहूँ तुझसे या खफ़ा हर पल तेरा इंतज़ार रहता है दिल का दरिया इक तेरे लिए ही तो बहता है लागी तुझ संग ऐसी प्रीत कि न हार सकूँ न जीत बस दिल निभाएँ प्यार की रीत गुनगुनाऊँ तुझ संग प्रणय गीत मन की बात जानने वाले ओ मेरे मन मीत तेरे साथ चलते-चलते यूँ ही जाएँ पूरी उम्र बीत तेरे आने की आहटे करती हूँ महसूस न आओ नजर के सामने तो रहूँ मायूस बनना चाहूँ तेरी हमराज़ ना कि जासूस रूठने पर तेरे मनाने का अथक प्रयास वादा रहा तुझसे, ना ना करते भी मान जाऊँगी हर दफ़ा कुछ ऐसा है मेरे प्यार का फ़लसफ़ा प्यार भरी है नोकझोंक वाद-विवाद में तेरे संग उलझने का है शौक मैं जब भी करूँ प्यार का इज़हार हमारे बीच बस यही तकरार दावा करते हो तुम हर बार करता हूँ प्यार, तू करे मुझसे प्यार जिससे ज्यादा जीवन हो तेरा सुकून भरा, खुद पर ले लूँ तेर...
दुख से न घबराना
कविता

दुख से न घबराना

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** दुखः से मनवा क्या घबराना, सुख में मनवा न पोमाना। सुखः दुखः तो जीवन, का क्रम है, एक आना एक जाना। दुःख में मनवा न घबराना बाँध सके जो दुखः मे, मन को, पहचाना उसनें जीवन को बिखर न जायें कहीं राह में, यह अनमोल खजाना। सुखः तो मन का एक बहाना, आज यहाँ कल और ठिकाना, इसकी मायावी छलना में भ्रमवश खो मत जाना। संघर्षों में टूट न पाये, दुखः में सुख की राह बनायें, हर विपदा मे मुस्कानों से मन के दीप जलाना। दुःख से मनवा न घबराना। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। ...
राष्ट्र का स्वाभिमान तिरंगा
कविता

राष्ट्र का स्वाभिमान तिरंगा

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** जो तिरंगा लहराया गणतंत्र दिवस को.... बड़े ही मान से और कितनी शान से! देश के हर्षित नीलाभ आसमान में!! बच्चों की नन्ही-नन्ही हथेलियों में... मारे गर्व और खुशी के इठला रहा था!!! बड़ी ही शान और गर्वित अभिमान से! सबके सीने पर जो नूर सा टँका था! हाथों में सुंदर सा रिबन बन बँधा था!! दमकती सी टोपी बन सिर पर चढ़ा था! अभिनव वंदनवार बन चहुँओर सजा था!! और तो और, देखो कैसे करता था... तरुणियों के कपोलों का दीर्घ चुंबन!! और माथे पर भी बिंदिया सा लगा था!! बीता दिवस उछाह का, निबहे सब रीत!! सुखद सपनों में खोई बीत गई रात! सच का रंग ले सामने आया प्रभात : सड़कों पर देखो इधर-उधर चहुँओर... हा! धूल धूसरित वतन की आबरु है!! चारों तरफ बिखरे हुए नन्हे तिरंगे!! पैरों से रौंदे और कुचलाए हुए! गिरे-पडे़-फँसे-अटके औ कहीं टँगे!! बंदनवारों में फटे-चिटे-रोते तिरंगे! झंडिय...
बहुत हो चुका
कविता

बहुत हो चुका

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** धर कर भेष हलधर का मजमा जमा विषधर का स्वार्थियों की भीड़ से परेशान व्यक्ति घर घर का ऐसी क्या आन पड़ी विपत्ति जो तोड़ रहे देश की संपत्ति फैला रखी है अराजकता अब लेनी ही होगी आपत्ति देशप्रेमी नही करते ऐसा कर्म इनके कृत्यों से आ रही शर्म ईंट का जवाब पत्थर से दो निभाओ अब अपना राजधर्म राष्ट्र हितो की सुध लो अब विषधरों को कुचलो भय बिन होत न प्रीत अब धनुष की प्रत्यंचा खिचलो वो करने लगे एलान ए जंग कर रहे हर मर्यादा भंग करो कार्यवाही कारगर समूचा राष्ट्र खड़ा तुम्हारे संग परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्व...
गांधी
कविता

गांधी

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भीड़ फिर भी एक अकेला एक कारवां फिर भी एक अकेला एक आदर्श एक अकेला अहिंसा के लिए संघर्ष अकेला। वैष्णव भजन वह काहे अकेला बने कारवां चले अकेला अनशन कारी बने अकेला एक भजन वह गावेअकेला एकवसन वो पहने अकेला जगमे कुछ जी या नहीं पहचान अपनी दी नहीं हरिजन का उद्धारक अकेला अठारह घंटे काम अकेला प्रार्थना के लिए चल अकेला समूह साथ फिर भी अकेला किंतु कॉल कहां से आया हे राम वह कहे अकेला राष्ट्रपिता कहलायाहै गोरों ने शिल्प लगाया है। है आदर्श बना अकेला भारत के लिए चल अकेला। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पी...
बेटियां
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बेटियां

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** मंदिर की आरती, मस्जिद की नमाज होती है बेटियां। जिंदगी का गान, दुनिया की आवाज होती है बेटियां। प्रकृति की नींव, मानवता की आधार होती है बेटियां। सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत होती है बेटियां। आस्था की प्रतीक, हर धर्म की लाज होती है बेटियां। संसार सागर में, मानव नैया की पतवार होती है बेटियां। हृदय का भाव, बाबूल के सिर का ताज होती है बेटियां। भाई का अभिनंदन, मां की मुस्कान होती है बेटियां। सास की सौगात, ससूर की नाज होती है बेटियां। आंखों की चमक, चेहरे का नूर होती है बेटियां। रिश्तों के सागर में स्नेहिल पानी होती है बेटियां। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई का त्योहार होती है बेटियां। चांद की चांदनी, सूरज की रोशनी होती है बेटियां। वात्सल्य का सागर, ममता की नदी होती है बेटियां। हाथों की रेखाएं, हर की तकदीर हो...
देखी नहीं जातीं
कविता

देखी नहीं जातीं

डॉ. कामता नाथ सिंह बेवल, रायबरेली ******************** दिमाग़ी तौर की बीमारियाँ देखी नहीं जातीं। तेरी गुस्ताखियाँ, ऐयारियाँ देखी नहीं जातीं।। बहुत दुशवार है हालात से लड़ना, बदल पाना, निजामत की मगर गद्दारियाँ देखी नहीं जातीं।। यहाँ बरफीली सर्दी में पडे़ हैं आसमां ओढे़, तेरा रंगीन बिस्तर, गरमियाँ देखी नहीं जातीं।। जहाँ सरसब्ज़ दोआबा था, है अंगार आँखों में, ये सहरां और ये वीरानियाँ देखी नहीं जातीं।। तेरी वहशत से हम दहशत में आये हैं, न आयेंगे, कुचलने की हमें तैयारियाँ देखी नहीं जातीं।। खुदा के वास्ते परदा उठा दे अपनी आँखों से, ऐ जालिम अब तेरी मक्कारियाँ देखी नहीं जातीं।। परिचय :- डॉ. कामता नाथ सिंह पिता : स्व. दुर्गा बख़्श सिंह निवासी : बेवल, रायबरेली घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक...
भारतीय संविधान
कविता

भारतीय संविधान

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** भारतीय संविधान है सर्वोच्च विधान, संविधान निर्माण पर दिये जो ध्यान। वे थे डाँ. भीमराव अम्बेडकर महान, उन्हे था संविधान का सम्पूर्ण ज्ञान। जिसने भारतीय संविधान को बनाये, वेअंबेडकर प्रधान वास्तुकार कहलाये। विश्व में सबसे लम्बा लिखितसंविधान, लिखा आ. भीमराव अंबेडकर महान। संविधान सभा में २६ नवम्बर १९४९ को किया पूर्ण रूप से पारित, २६ जनवरी १९५० को सम्पूर्ण रूप व प्रभावी ढंग से किया जारित। इसमें अंबेडकर ने सरकार के संगठन के सिद्धांत का किया वर्णन, इस निर्मित संविधान को भारतीय संविधान सभा ने किया धारण। इसमें कार्यपालिका,न्यायपालिका व विधायिका की रचना व कार्यों का वर्णन है विस्तारित, जिसका भारतीय संविधान सभा द्वारा किया जाता पारित। इसमें नागरिकों के साथ उनके सम्बंध, अधिकार तथा कर्तव्य के बारे में स्पष्ट है लिखा, परंतु हम सभी के बीच ...
छब्बीस जनवरी आई हे
कविता

छब्बीस जनवरी आई हे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** देखो खुशीया लहराई हे आजाद तिरंगा फहरा कर संवैधानिक खूशिया मनाई है अपना देश अपना कानून हर चेहरे पर रित नई पाई है नई दिशा पाकर भारत वासी ज्ञान जोत, हमने जलाई है ऊंचाई नीच का भेद मिटा कर बजी खूशीयो की शहनाई है पंचशील के पाकर सिधान्त विश्व मे नविनअलख जगाई है न कोई भूखा होगा न नंगा कोई संविधान ने कसम जो खाई है सबका साथ सबका विकास धर्म निरर्पेक्ष पहचान बनाई है दिलाकर मुल अधिकार मैने कर्तव्यनिष्ठा सबको सिखाई है न अन्याय न पक्षपात हो यहां यही सब ईमानदारी अपनाई है बोइतरहवा गणतंत्र अपना कर मोहन ने खुशियां बंटवाई है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं...
आजादी के झंडे
कविता

आजादी के झंडे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** आजादी के झंडे को हम, आत्मविश्वास से फहराएंगे, जीवन की उपलब्धियों को हम, देश के नाम करायेंगे, संविधान के अनुच्छेदों को, शब्द-शब्द हम देश के काम लाएंगे, आजादी के लहू को हम, जीवन भर याद रखेंगे, २६ जनवरी को शपथग्रहण कर, सविधान की लाज बचायेंगे, आजादी के वीर सपूतों को हम, जिंदगी भर यादों मे समेट कर रखेंगे, अंग्रेजो के काले कारनामें, कभी ना हम भूल पायेंगे, जीवन भर की लालसाएं, भारत माँ के चरणों में लौटाएंगे, माँ भारती को सोने की चिड़ियाँ, फिर से हम बनायेंगे, आतताइयों की बदसूरती से, सदा भारत माँ को बचाएंगे, लालकिले पर गणतंत्र का, झंडा हम लहराएंगे, अपने आजाद भारत का हम, सविधान कभी ना भूल पायेंगे, विश्व का सबसे बड़ा लिखित सविधान का, गौरव हम हमेशा बढ़ाएंगे , ४४८ अनुच्छेद, १२ अनुसुचियां, २५ भाग को, और ५ परिशिष्ठ को हमेशा जीवन में अपनाएंगे, हम...
सुशान्त सिंह राजपूत
कविता

सुशान्त सिंह राजपूत

आदर्श उपाध्याय अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश ******************** जन्मते-जन्मते मुझको क्या दर्द सहा होगा मेरी माँ ने। ज़िन्दग़ी बदलकर मेरी ले ली खुद की ज़िन्दग़ी मेरी माँ ने।। बालपन से किशोरपन, किशोरपन से युवा को देखा मैंने। अपने कितने ख़ुदगर्ज़ हैं , अपनो से ही देखा मैंने।। ज़िन्दग़ी को जीते-जीते ज़िन्दग़ी से हार गया मैं। दुनिया भर से लड़करके अपनों से ही हार गया मैं।। जन्म देकर चली गयी वो दर्द न मेरा देखा उसने। ज़िन्दग़ी के मेरे लम्हों को, कभी-कभी था देखा उसने।। उसके आँचल का छाँव आसमाँ से भी बढ़कर था। टिक न पाता सामने मेरे सीने पर जो चढ़कर था।। ज़िन्दग़ी को समझते-समझते ज़िन्दग़ी ने ठुकरा दिया। हमने जिसको चाहा उसने ज़िन्दग़ी से ही उतार दिया।। हर दिन हर रात मेरी गुलाम सी हो गई थी। पर मेरी चाहत ही मेरी इन्तक़ाम सी हो गई थी।। खैर, मैं मरकर भी जी गया हूँ, अब जीवन भर माँ का साथ है। उसको जी...
अप्रतिम राष्ट्रनायक नेताजी
कविता

अप्रतिम राष्ट्रनायक नेताजी

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** हे देश के अप्रतिम लाल! तुझे कोटिशः नमन!! नेताजी जैसे लाल से खिल जाता है राष्ट्र चमन! जानकी नाथ औ प्रभावती की बगिया में खिला जो प्रसून आजादी देने के बदले मांँगा था देशवासियों से वो खून अद्वितीय क्रांतिकारी थे वे और राष्ट्रवादी नेता प्रखर आजाद हिंद फौज के जनक मुख्य सेनापति बनकर साम्राज्यवादियों को दिखा अंगूठा बनाई अस्थाई सरकार जर्मनी जापान सहित ११ देशों से मान्यता लेकर कार्यालय बनाया द्वीप अंडमान निकोबार अंँग्रेजों पर किया तुमने आक्रमण पर आक्रमण छक्के छुड़ा होश उड़ा दिन में दिखलाए तारेगण द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की स्वतंत्रता के हित लड़े प्राण प्रण से किया विपुल यश मान अर्जित अपनी प्रबल सामर्थ्य से कँपा दिया विदेशी शासक को अपने व्यक्तित्व कृतित्व से घबरा दिया सत्ताधीशों को अत्यंत प्रभावशाली युवा व्यक्तित्व थे तुम सुभाषचंद्र भारतीय र...
यह हमारा संविधान हैं
कविता

यह हमारा संविधान हैं

राजेश चौहान इंदौर मध्य प्रदेश ******************** यह हमारा संविधान हैं....... संविधान सभा द्वारा निर्मित..... यह हमारा संविधान हैं....... डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित.... यह हमारा संविधान हैं..... २ वर्ष ११ माह १८ दिन दिनों में लिखा गया..... यह हमारा संविधान हैं..... देश के सभी गणों का यह वरदान हैं..... यह हमारा संविधान हैं...... इसमें सभी जाति धर्मों का सम्मान हैं..... यह हमारा संविधान हैं...... अनेकता में एकता का अनुपम उदाहरण हैं...... यह हमारा संविधान हैं...... लोकतांत्रिक ढंग से हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार हैं..... यह हमारा संविधान हैं..... विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक विधान हैं...... यह हमारा संविधान हैं..... हम सभी देशवासियों को इस पर अभिमान हैं..... यह हमारा संविधान हैं..... २६ जनवरी १९५० से "गणतंत्र दिवस" के रूप में मनाना शुरू हुआ..... यह हमारा संविधान हैं.......
अब क्या होगा ?
कविता

अब क्या होगा ?

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ****************** अनजान राहो पर खामोश चल रहे मगर तय है मिलेंगे किसी अजनबी की तरह !! आँगन मचल रहा होगा बुलाने के लिए दहलीज उदास होगी गुजरे वक्त की तरह !! दीवारे खंडहर होंगी और रंग उजड़ा होगा एक सराय होगी बिना मुसाफिरो की तरह !! पतझड़ से परेशां होंगे यहा पेड़ सारे अंदर से जल रहे होंगे शोलो की तरह !! जख्म फिर से हरे और घाव उभर रहे होंगे इकठ्ठे होते रहेंगे गम अमानत की तरह !! रास्ता सुनसान होगा किसी अपने को ढूंढेगा मौत भी लावारिस होगी अजनबी की तरह !! दौर गुजर गया और वक्त बदल गया है क्यो ये दिल मचल रहा है नादाँ की तरह !! परिचय : विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. इंदौर निवासी साहित्यकार विश्वनाथ शिरढोणकर का जन्म सन १९४७ में हुआ आपने साहित्य सेवा सन १९६३ से हिंदी में शुरू की। उन दिनों इंदौर से प्रकाशित दैनिक, 'नई दुनिया' में आपके बहुत सारे लेख, कहानियाँ और कविताऍ प...
गणतन्त्र कहाँ है
कविता

गणतन्त्र कहाँ है

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** ऐ मेरे भारत बता तेरा वो गणतन्त्र कहाँ है आजादी भले मिली हो पर हम स्वतंत्र कहाँ है हर जगह दिखती यहाँ पर लाचारी और बेबसी झूठ का है बोलबाला सच में कोई दम नहीं इंसानियत के दाव पर हो रहा षडयंत्र यहाँ है ऐ मेरे भारत बता तेरा वो गणतन्त्र कहाँ है कहाँ गये वो कस्मे वादे हमने खायी थी कभी हाथ में लेकर तिरंगा गा रहे थे हम सभी सपनों सा सुंदर वो मेरा लोकतंत्र कहाँ है ऐ मेरे भारत बता तेरा वो गणतन्त्र कहाँ है संविधान की वो बाते पुस्तकों में रह गई जिसने भी आवाज उठाई वो वही पर दब गई सच्ची बातों को समझाये ऐसा वो मंत्र कहाँ है ऐ मेरे भारत बता तेरा वो गणतन्त्र कहाँ है कही देखो शिखर पर जा रही है बेटियाँ कही देखो बर्बरता की शिकार हो रही है बेटियाँ इस्पात के साँचे मे जो ढाले ऐसा वो सयंत्र कहाँ है ऐ मेरे भारत बता तेरा वो गणतन्त्र कहाँ है आजाद...
ज़िंदगी…”तन्हा हैं”
कविता

ज़िंदगी…”तन्हा हैं”

निर्मल कुमार पीरिया इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हैं फ़लक का नूर तू, झलक दूर से देता हैं, हो वास्ते रुबरु तेरे, वो दरीचा सवाँर देता हैं... करता है गुफ़्तगू वो, ख़ामोश सूनी निग़ाहों से, अरमा लिये पहलू में, सर-ए-शब गुजार देता है... माना कि फासले हैं मगर, तसव्वुर पे कहा जोर, मीलों की दूरियां सही, वो शिद्दत से घटा देता हैं... रोशनी बिखरीं जहान, उर चित्त छाया अंधेरा हैं, शब हुई शबनमी आज, तन्हा वो दिखाई देता हैं... हैं नाज क्यू जो आब हैं, फौरी हुआ ये इश्क़, शब भर रहा तू अर्श, सहर गुम दिखाई देता हैं... परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया शिक्षा : बी.एस. एम्.ए सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि. निवासी : इंदौर, (म.प्र.) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रक...
वतन हमारा
कविता

वतन हमारा

रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. ******************** जान से प्यारा वतन हमारा जग से न्यारा देश है प्यारा ये ऋषियोँ की है तपो भूमि ये अर्जुन कृष्ण की है कर्म भूमि यहाँ है जन्मे बौद्ध महावीर यही से निकले परसुराम शूरवीर यही हुआ है जन्म दधीचि का और रामकृष्ण, विवेकानन्द जैसे जगत गुरु का देवी अहिल्या हो या लक्ष्मीबाई कल्पना चावला या फिर मीरा बाई नारी शक्ति ने भी अपनी अलग ही पहचान बनाई तरह तरह की भाषाए और तरह तरह के परिधानो में, विभिन्न रीति रिवाजों और अलग अलग धर्मो के धागों में बंधा हुआ ये देश है प्यारा जब भी धरा पर विपदा आई विश्व गुरु की छवि है पाई छिपा हुआ हर समाधान यहाँ पर होती है मुश्किलें आसान यहाँ पर कोरोना के टीके में भी सर्वे भवन्तु सुखिनः की छाप है आई और भारत ने पूरी दुनिया मे गरिमा पाई अनेकता में एकता और देश की अखंडता ही भारत की है विशेषता परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप ...
क्या लिखा है किस्मत में
कविता

क्या लिखा है किस्मत में

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** क्या लिखा है किस्मत में, कई लोग भ्रम में पड़े हुये, किस्मत अपने हाथों में हो, जब दाता ने दो हाथ दिये। उनकी किस्मत हो जिनके, हाथ और पैर नहीं होते हैं, रख आलसी हाथ पे हाथ, अपनी किस्मत को रोते हैं। प्रभु कहता महसूस होता, कर ले रे इंसान! तू काम, किस्मत रोना रोता रहा तो, हो जाएगा जग में बदनाम। गरीबी जन की हो गायब, जुट जाये करे मेहनत जोर, देखो खुशियां घर में आये, नाच उठता है मन का मोर। अमीर अगर घर में बैठेगा, करेगा ना जब कहीं काम, धन दौलत खत्म हो जाए, करते रहो किस्मत बदनाम। क्या लिखा है किस्मत में, जाके पूछो मजदूर किसान, किस्मत अपनी लिखता है, कहलाता है धरा भगवान। क्या लिखा है किस्मत में, पूछो मेहनती विद्यार्थी से, किस्मत कदमों में झुकती, नहीं पूछ हाल स्वार्थी से। खाने को दो जून न रोटी, मूर्ख कहे किस्मत खोटी, काम करे मुफ्त ना खाय...
नव वर्ष मंगलमय हो…
कविता

नव वर्ष मंगलमय हो…

राजेश चौहान इंदौर मध्य प्रदेश ******************** नव वर्ष मंगलमय हो... नई रात हो...नई सुबह हो... नव वर्ष मंगलमय हो... नई बात हो...नई शुरुआत हो... नव वर्ष मंगलमय हो... नई मौज हो...नई मस्ती हो... नव वर्ष मंगलमय हो... नई चहक हो...नई महक हो... नव वर्ष मंगलमय हो... नई सोच हो...नई उमंग हो... नव वर्ष मंगलमय हो... नई हिम्मत हो...नई ताकत हो... नव वर्ष मंगलमय हो... नई राह हो...नई मंजिल हो... नव वर्ष मंगलमय हो... परिचय :- राजेश चौहान (शिक्षक) निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
तुम भारत के हो भाल
कविता

तुम भारत के हो भाल

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष हो रण केसरी तुम तलवार, खुखरी तुम लावा तुम्हारी रगों में झुके नही तुम दगो में तुम सा नही कोई बलिदानी तुम हिन्द की अमर कहानी काट दे ते हो रिपु का हाथ नही करते उसके सामने गाल तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष मांगते हो लहू आज़ादी के लिए जीवित हो सिर्फ अरि की बर्बादी के लिए ढोंग पाखंड से हो दूर तुझसा न कोई दुजा शुर खाली नही होने देते तुम रणचंडी की थाल तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष तेरा कर्ज़ न उतार पायेंगे सौ जन्म भी गर पायेंगे तुझसा नही आज़ादी का रिंद हर भारतीय कह रहा जयहिंद तुम देशभक्ति की मिसाल तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल ...