पृथ्वी दिवस
मंजुला भूतड़ा
इंदौर म.प्र.
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लगता है बहुत खुश हैं,
धरा और गगन।
प्रदूषण का स्तर
हुआ निम्नतम।
पक्षी भी उन्मुक्त,
कर रहे हैं भ्रमण।
गुलों की बहार है,
खिले हैं चमन।
वक्त को समझें,
अवसाद में न उलझें।
धरा दिवस पर कुछ लिखें,
जो कहे आपका मन।
सभी का अभिनन्दन,
सभी रहें स्वस्थ
यही कह रहा,
मेरा अन्तर्मन।
परिचय :-
नाम : मंजुला भूतड़ा
जन्म : २२ जुलाई
शिक्षा : कला स्नातक
कार्यक्षेत्र : लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता
रचना कर्म : साहित्यिक
लेखन विधाएं : कविता, आलेख, ललित निबंध, लघुकथा, संस्मरण, व्यंग्य आदि सामयिक, सृजनात्मक एवं जागरूकतापूर्ण विषय, विशेष रहे। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक समाचार पत्रों तथा सामाजिक पत्रिकाओं में आलेख, ललित निबंध, कविताएं, व्यंग्य, लघुकथाएं संस्मरण आदि प्रकाशित। लगभग १९८५ से सतत लेखन जारी है ।
१९९७ से इन्दौर में निवास वर्तमान में ल...