वासंती प्रणय निमंत्रण
रंजना फतेपुरकर
इंदौर (म.प्र.)
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वसंत पंचमी का वह
वासंती सवेरा था
स्वर्ण पुष्पों संग तुमने
प्रणय निमंत्रण भेजा था
अहसासों का रिश्ता
दिल में उतरने लगा था
और सपनों में खोया मन
सितारों पर चलने लगा था
तुम्हारे मधुर गीतों ने
मेरे मन को इस तरह छुआ था
जैसे मोरपंखों से झरते रंगों ने
महकी गुलाब पंखुरियों को छुआ था
वासंती महक मेहंदी में घोलकर
मेरी हथेलियों पर
प्रणय रंग रचा था
जैसे किसी हसीन ख्वाब ने
मेरी रेशमी पलकों को छुआ था
यही बसंत पंचमी का
वह वासंती सवेरा था
जब स्वर्ण पुष्पों संग
तुमने प्रणय निमंत्रण भेजा था
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परिचय :-
नाम : रंजना फतेपुरकर
शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य
जन्म : २९ दिसंबर
निवास : इंदौर (म.प्र.)
प्रकाशित पुस्तकें ११
हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४६ सम्मान
पुरस्कार ३५
दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीज...