लक्ष्य
मनीषा व्यास
इंदौर म.प्र.
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धनुष से छूटा बाण कब
पथ पर रुकता है,
तुम तो लक्ष्यपथ के
बाण हो, लक्ष्य तक
पहुंचे बिना
फिर तुम्हें नहीं ठहरना
उठो और प्रयत्न करो
रुको नहीं जब तक मंजिल पर न पहुंचो।
मन की सकारात्मक्ता
नई राह दिखाती है।
आशाएं भी जगाती हैं
तुरंत राह पर चलो।
कार्य जो किए निर्धारित
अंजाम देना है फ़ौरन।
सीखने की प्रक्रिया को
तुम रुकने न देना।
तरक्की तुम्हारे क़दमों
में होगी पथ पर विश्राम
ना करना।
कड़ी मेहनत का विकल्प नहीं कोई।
कामयाबी छिपी है इसमें,
तुम्हें उसी आवरण को खोजना।
परिचय :-
नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं...