अपने पराये
मिर्जा आबिद बेग
मन्दसौर मध्यप्रदेश
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अपने भी अब पराये होने लगे हैं,
जज्बात भी अब रोने लगे हैं
क्या तू भी उन्हें समझता है,
जो दूसरों को उलझाने लगे है,
उसने जो किया अपने बलबूते पर,
उसके किस्से लोग सुनाने लगे हैं,
अच्छे बुरे का जो फर्क ना समझे,
उसकी गलतियां भी गिनाने लगे है,
तरक्की, विकास के मायने समझ लो,
मंजिलें, इमारत बनाने में जमाने लगे है,
उन इज्जतदारों की इज्जत भी देख लो,
साहूकार बनके दूसरों पर उंगली उठाने लगे है,
इज्जत बड़ी शर्मिली होती है आबीद
वह क्यों मुंह छुपाने लगे हैं,
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लेखक परिचय :-
११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मिर्जा आबिद बेग के पिता स्वर्गीय मिर्जा मोहम्मद बेग एक श्रमजीवी पत्रकार थे। पिताश्री ने १५ अगस्त १९७६ से मंदसौर मध्यप्रदेश से हिंदी में मन्दसौर प्रहरी नामक समाचार पत्र प्रकाशन शुरू किया। पिता के सानिध्य में रहते हुए मिर्जा आबिद...