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पूछती हैं बेटियाँ

विवेक सावरीकर मृदुल
(कानपुर)

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कर चुके हैं दर्ज कितने
आक्रोश मोमबत्ती जला
चीख चीख कर थक चुके
चैनल चर्चित एंकर यहां
धरने प्रदर्शन कर देश भर
उकता गये हैं आम जन
प्रश्न जस का तस अनुत्तरित
क्या करें अब और हम?
और कितनी बार हमारी
सभ्यता नीलाम होगी
और कितनी बार मानवता
यहाँ बदनाम होगी
रोष और खौफ के आगे
क्या बढ़ पाएंगे सभी
इस दरिंदगी से हमेशा
को निजात पाएंगे कभी
कब आखिर कब नुचेगी
इन नरपशुओं की बोटियाँ
पूछती है राख में झुलसी
हजारों बेटियाँ
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लेखक परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल
जन्म :१९६५ (कानपुर)
शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा
हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये,
उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन।
संप्रति : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक कुलसचिव।

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