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मेरे सिया के श्रीराम
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मेरे सिया के श्रीराम

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, मेरे सिया के श्रीराम। उनके चरित्र चित्रण से सीखे, मर्यादा ये संसार।। मोहिनी मूरत मेरे श्रीराम की, दर्शन मिले अपार। पुलकित हो उठे मन मेरा, जब भी लूं राम का नाम।। नहीं भेद करते कभी प्रभु, भावनाओं के साथ। झूठे बेर सबरी के, प्रेम से खाते हैं मेरे श्रीराम।। केवट की नौका को भी, किया प्रभु ने प्रणाम। हाथ जोड़ के केवट को, दिया भवसागर से तार।। आज्ञा से पिता दशरथ की, गए प्रभु वनवास। ऋषि मुनि की सेवा कर, किया है प्रभु ने प्रवास।। रावण पर उपकार किया, करके युद्ध अपार। तरस रहा था मुक्ति को, श्रीलंका का सम्राट।। आजीवन की साधना, लेकर शिव शंकर का नाम। राम का रूप आनंद है, चरणों में जिनके चारों धाम।। सूर्य देव आराध्य हैं, कुल दीपक हैं जिनके श्रीराम। वनवासी कहो या घट घट वासी...
मुरलीधर
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मुरलीधर

रतन खंगारोत कलवार रोड झोटवाड़ा (राजस्थान) ******************** मन बसिया, रंग रसिया गोपाल, तुझे छलिया कहूं या कहूं नंदलाल। हजारों नाम और असंख्य है अवतार, मधुर तेरी मुरली की हैं, तान ओ मुरलीधर।। गोकुलवासियों ने कोई पुण्य कमाया, जो मुरलीधर उनका सखा बन आया। सुख-दुःख का साथी बना नंदलाला, त्रिलोकी का नाथ बन गया रखवाला।। हंसी ठिठोली से चले जीवन की नैया, तारणहार ही बन गया सबका खवैया। सब ग्रामवासियों को बहुत प्रेम से समझाया, पर्वत की पूजा का जीवन में महत्व बताया।। पूजा टली इंद्र की तो, उसका क्रोध जगा, सात दिनों तक वर्षा का सैलाब लगा। त्राहि त्राहि मच गया जब चहूं ओर, तब हरी हर आये सुन दिन हीन पुकार।। गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाया, सब जीवों को उसके नीचे बसाया। मुरली की मधुर तान सुन सब भूल गए दुख और काज, तब से ही गिरधर बन गए गोवर्धन महाराज।। परिचय : रतन ...
राम
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राम

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** जिनके होठों पर हों राम उनका जीवन सुधा समान उनका दिल कलुषित नहीं होता करते वे सबका कल्याण जिनके हिय में वसते राम उनका सब होता है काम जो भजते हैं राम का नाम उनका जीवन स्वर्ग समान वे करुणा के होते गागर जैसे राम दया के सागर जो अनुचार हैं रामचंद्र के वे होते हनुमान समान परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
नगर-नगर में धूम मची है
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नगर-नगर में धूम मची है

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** नगर-नगर में धूम मची है राम जी के नाम की। प्राण प्रतिष्ठा हो गई है पुरुषोत्तम श्रीराम की। नगर-नगर में ... मंगलाचरण से पावन हो गई धरती अयोध्या धाम की। घर आँगन में दीप जले हैं स्वागत में श्रीराम की। नगर-नगर में ... चारों ओर चर्चा है अब दीपोत्सव कीर्तिमान की। देख रहीं है दुनिया शक्ति अब भारत माता के नाम की। नगर-नगर में ... पूरी हो गई अभिलाषा अब भक्तों के बलिदान की। लहर चली है देखो अब सनातन के सम्मान की। नगर-नगर में ... अजर अमर गाथा है ये श्रीराम के नाम की। जय हो राम लक्षमण जानकी जय हो महावीर हनुमान की। नगर-नगर में ... परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६ शिक्षा : एम.कॉम, एल.एल.बी. निवासी : उज्जैन (मध्य प्रदेश) रुचि : आपकी बचपन में व्यायाम शाला में व्यायाम,...
सब शौक हुए पूरे
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सब शौक हुए पूरे

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** , अब सांसों को जीना है। अमृत ज्ञान दे रहा ईश्वर, अब बस उसको ही पीना है। सब शौक........ दी हमको श्रेष्ठ योनि, उपकार है प्रभु का। परिवार दिया उत्तम, ये प्यार है प्रभु का। दायित्व जो भी देता, पूरे वही कराता। जैसे भी प्रभु रक्खे, वैसे हमें जीना है। सब शौक........ सृष्टि का वो सृजन कर रहा, ये है कार्य प्रभु का। सृष्टि को पोषण भी, एक कार्य है प्रभु का। गिनती की मिली सांसे, निश्चित है ये रुकेंगी। जो भी बची हैं उनको, सुमिरन में लगाना है। सब शौक............ मानव की योनि ईश्वर, मुक्ति के हेतु देता। बुद्धि विवेक देकर, वो श्रेष्ठ बना देता। प्रभु नाम में ही रमकर, मुक्ति हमें पाना है। सब शौक.......... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि म...
देवों के महादेव
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देवों के महादेव

डॉ. राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** शिव की भक्ति शिव की शक्ति, सावन का मास जो आया.....। देवों के महादेव को भक्तों ने बुलाया ...।। प्रथम वंदना गौरी नंदन, त्रिविध ताप हर पुष्प चढ़ाया....। देवों के महादेव को भक्तो ने बुलाया ...।। शिश जटा प्रभु चंद्र विराजे, हे भोलेनाथ भंडारी..... । देवों के महादेव को भक्तो ने बुलाया ...।। त्रिपुंड़ धारी गले शेष विराजे, त्रिशूल बाघांबर सोहै..... । देवों के महादेव को भक्तों ने बुलाया ...।। भक्तों पर सहज कृपा जो करते, आशुतोष कहलता .....। देवों के महादेव को भक्तों ने बुलाया ...।। "राधे" की विनती सुन लो हर, भक्तों की कष्ट मिटाओ हर हर.... । देवों के महादेव को भक्तों ने बुलाया ...।। ┈┉═❀❀═┉┈ परिचय :-  डॉ. राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत...
आयीं माँ दुर्गे हमारे द्वार
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आयीं माँ दुर्गे हमारे द्वार

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** डोली पे होके माँ सवार आयीं माँ दुर्गा हमारे द्वार धूप दीप और नैवेद्य चढाऊँ पावन पूत कलश बिठाऊँ आरती उतारूँ मैं बारम्बार आयीं माँ दुर्गा हमारे द्वार स्वागत में माँ के गीत गाऊँ धुन पे गरबा नाच नचाऊँ झमक झूमूँ होके मैं तैयार आयीं माँ दुर्गा हमारे द्वार दु:ख हरण हित तू माँ आयीं दुष्ट दलन हित पाँव बढ़ायी पहनाऊँ तुझे मैं विजयी हार आयीं माँ दुर्गा हमारे द्वार। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा ...
तुम्हारी सदा हो जय जयकार
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तुम्हारी सदा हो जय जयकार

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** अम्बे, जगदंबे, जग जननी तुम जग की हो पालनहार। तुम्हारी सदा हो जय जयकार … जय माँ लक्ष्मी, सरस्वती तुम सब के जीवन का आधार। तुम्हारी सदा हो जय जयकार … नौ रुपों की महारानी हो तुम तुम्हारी महिमा अपरंपार। बड़े बड़े असुरों का तुमने कर दिया संहार। तुम्हारी सदा हो जय जयकार … नौ तत्वों की रचना तुम्हारी सुन्दर ये संसार। जलचर, थलचर, नभचर सब मे तुम्हारी शक्ति का संचार। तुम्हारी सदा हो जय जयकार … नौ रात्रि सा प्यारा न जग मे दूजा है त्योहार। भक्ति रस मे डूबे जग सारा ख़ुशियाँ मिले अपार। तुम्हारी सदा हो जय जयकार … जगमग दीप जलाएँ सब बाँधें बंदनवार। मंगल गीत तुम्हारे गाएँ माँ आओ हमारे द्वार। तुम्हारी सदा हो जय जयकार … जय महा काली, शेरावाली सब पर करो उपकार। अपने भक्तों को दर्शन दे दो माँ सुनलो सब की पुकार। त...
तू है जगत पिता
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तू है जगत पिता

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** तू है जगत पिता तो मैं भी तेरा ही वंशज हूं। तूने करुणा बरसाई तो जीवों में अग्रज हूं। तू है जगत पिता तो मैं भी तेरा ही वंशज हूं। मैं संसारी जग में आया जगमाया में डूबा, मैं मेरा में सीमित रहकर जीवन से था ऊबा। तेरी सेवा जब पाई थोड़ी जीवन में रस आया, सुमिरन का जब जाम पिया तो जग का कुछ ना भाया। तेरे सृजन के रस में डूबा भंवरा हूं, पंकज हूं। तू है जगत पिता तो मैं भी तेरा ही वंशज हूं। तेरी कथा सुनना-सुनवाना ही अब मुझको भाता, तेरा नाम जपता, जपवाता इसमें ही दिन जाता। जितनी सांसे हो खाते में निज सेवा में रखना, तेरे नाम से तृप्त आत्मा अब जग का क्या चखना। राह का एक कंकड़ था, अब तेरे चरणों की रज हूं। तू है जगत पिता तो मैं भी तेरा ही वंशज हूं। तेरे भक्त गाली भी दे तो तेरा प्रसाद ही समझूं , मान और अपमान ...
गणपति बप्पा : ज्ञान के दाता
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गणपति बप्पा : ज्ञान के दाता

राकेश कुमार दास पिपिलि, पुरी ******************** हे विघ्नहर्ता गणपति बाप्पा, हर शुभारंभ के आधार। तेरे बिना यह जग सूना है, तू ही है ज्ञान का भंडार॥ विद्यालय से मंदिर तक, तेरा ही गुणगान। तेरे नाम से खिलते हैं, विद्या के उद्यान॥ शिवपुत्र! जब शीश गंवाया, फिर भी दिखाया ज्ञान का प्रकाश। तेरे आशीष से जग ने पाया, विद्या का अनमोल विश्वास॥ शिक्षा से जीवन होता है उज्जवल, अज्ञान से होता पतन। तेरी कृपा से मिटते अंधेरे, ज्ञान बनता जीवन धन॥ ना कोई वंचित शिक्षा से हो, सबको मिले तेरा आशीर्वाद। तेरी शरण जो आए गणपति, उसका जीवन हो सफल और आबाद॥ तेरी मूर्ति में है आस्था, तेरे चरणों में है विश्वास। गणपति बाप्पा मोरया... मंगल मूर्ति मोरया...॥ परिचय : राकेश कुमार दास निवासी : पिपिलि, पुरी घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है। ...
हे गणपति
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हे गणपति

प्रीतम कुमार साहू 'गुरुजी' लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे। माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे।। साँझा बिहिनिया करँव आरती, लडवन भोग लगावंत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला। दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला।। पान-फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयाँ। बल,बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयाँ।। हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। परिचय :- प्री...
गजानंद स्वामी
आंचलिक बोली, भजन

गजानंद स्वामी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी रिद्धी सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव ! सजे सिहासन आके बइठो,पँवरी म माथ नवावंत हँव !! हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे ! माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे !! साँझा बिहिनिया करँव आरती, लडवन भोग लगावंत हँव ! सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला ! दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला !! पान-फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव ! सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयाँ बल,बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयाँ !! हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हव ! सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! परिचय :- प्रीतम कुमार साह...
श्री विघ्न हर्ता गणेश
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श्री विघ्न हर्ता गणेश

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** गणपति मंगल दायक हो तुम, सब के विघ्न हरो। शरणागत है शरण तुम्हारी, जीवन सुलभ करो। गणपति मंगल…. दीनबंधु, दीनानाथ, दयानिधी सब पर दया करो। सिध्द विनायक, जन गण नायक चिन्ता हरण करो। अनन्त भुवन के अधिपति हो तुम, मंछा पूरण करो। देकर वांछित फल सब को, मन हर्षित करो। गणपति मंगल… निर्मल मन हो, कपट न छल हो, भावना ऐसी भरो। मधुर हो वाणी, हस्त हो दानी, सक्षम ऐसा करो। राग द्वेष, मद निकट न आवे ऐसी दृष्टि करो। जन जन हो सुखी धरा पर, ऐसी वृष्टि करो। गणपति मंगल…. परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६ शिक्षा : एम.कॉम, एल.एल.बी. निवासी : उज्जैन (मध्य प्रदेश) रुचि : आपकी बचपन में व्यायाम शाला में व्यायाम, क्षिप्रा नदी में तैराकी और शिक्षा अध्ययन के साथ कविता, गीत, नाटक लेखन मंचन आदि म...
श्री गणेश जी की आरती
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श्री गणेश जी की आरती

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** आरती गणपति गौरी सुतम्। सर्व मगंलकारी है गजमुखम्। आरती गणपति… सर्व लोक कल्यानार्थ अवतरितम्। सर्व सिद्ध विनायक विघ्न हरणम्। आरती गणपति… सर्व देव वरद, हो प्रथम पुजितम्। सर्व दिव्य कलाओं मे हो परिपूर्णम् आरती गणपति… सर्व शक्ति स्वरूप है सिद्धेश्वरम्। सर्व माया अधिपति विश्वेश्वरम्। आरती गणपति… सर्व बाधा हरे गणेश आयुधम्। सर्व मूषक, पाश, भुजंग, अंकुशम्। आरती गणपति… सर्व मधुर, मनोरम ये छबी अनुपम। सर्व देवों मे देव ,तुम आशुतोषम्। आरती गणपति… सर्व दुर्दिन, दुविधा, दुःख हरणम्। गण नायक, गजानन, गज कर्णम्। आरती गणपति... सर्व विद्यावन, गुणी, अति चतुरम्। सर्व आनन्द दायक है चतुर भुजम्। आरती गणपति… सर्व काज सँवारे शशीवरनम्। आए जो गजानन की शरणम्। परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिना...
कृष्ण से गुहार
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कृष्ण से गुहार

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** हे कृष्ण पुकारे जब-जब, देना हमें सहारा। हम है बालक तुम्हारे, तुम ही हो पालनहारा। हे कृष्ण पुकारे …. आया जो इस धरा पर, सब मे है अंश तुम्हारा। देखें जिधर भी हम, लगता है सब कुछ न्यारा। मन मोहक इस छबि मे, दिखता है रुप तुम्हारा। संरचना ये तुम्हारी, इस सृष्टि को नमन हमारा। हे कृष्ण पुकारे …. कर्म करें निष्काम भाव से, ये है कथन तुम्हारा। जैसे कर्म करेंगे, होगा वैसा भाग्य हमारा। देना इतनी शक्ति, गुनाहों से करें किनारा। जाये उधर ना हम कभी, जहां हो अहित हमारा। हे कृष्ण पुकारे …. जब जब सजल नयन से, भक्तों ने तुम्हें निहारा। लेकर शरण में अपनी, कष्टों से उसे उबारा। हाथों मे है तुम्हारे, ये जीवन का चक्र सारा। रखना सानिध्य मे अपनी, हो जब जब जनम दुबारा। हे कृष्ण पुकारे …. परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मो...
बाबा महाकाल
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बाबा महाकाल

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बम भोला बम भोला कालों के काल। डम् डम् डमरू वाले मृत्युंजय महाकाल। बम भोला… जटा में गंग धारा है शशि धरे है भाल। ग्रीवा में भुजंग संग रुद्राक्ष की माल। बम भोला… कंठ में हलाहल है त्रिलोचन में ज्वाल। भस्म रमैया भूतेश्वर के अंग वस्त्र है खाल। बम भोला… त्रिशूल अंकुश बाबा का तीन लोग की चाल। तीनों लोक अधीन है पृथ्वी, नभ, पाताल। बम भोला… स्वयं सिद्ध, स्वयंभू है सिद्धेश्वर महाकाल। समाधि में लीन रहते हैं बाबा सालो साल। बम भोला… साक्षात् शिव रुप है ज्योतिर्लिंग महाकाल। छबि अर्द्धनारीश्वर की लगे बेमिसाल। बम भोला… भोले शम्भु भोलेनाथ भोलेश्वर महाकाल। शरण में तेरी आए बाबा अब तू ही सम्भाल। बम भोला… परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६ शिक्षा : एम.कॉम, एल.एल...
महादेवा
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महादेवा

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भाषा में भजन काल के महाकाल कहावय, शिव शंकर महादेवा भक्तनमन के भाग जागे जेन करे तोर सेवा। अंग म राख, भभूत चुपरे बईला म करें सवारी भूत, प्रेत अउ मरी मसान जम्मों तोर संगवारी।I दानी नइ हे तोर असन कस हे सम्भू त्रिपुरारी कतका तोर जस ल गावँव महिमा हे बड़भारी।I गंगा हर तोर जटा म साधे, कहाय तै जटाधारी बघुवा के तै खाल पहिरे जय हो डमरूधारी।I गणेश, कार्तिक तोर लाल कहावय पार्वती सुवारी तोर पउँरी म माथ नवावँय जम्मो नर, नारी।I असुर मन कतकोंन छलिस तोला सिधवा जान हलाहल के पान करइय्या नीलकंठ भगवान।I परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
नन्द यशोदा धाम
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नन्द यशोदा धाम

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चल रे मनवा तीरथ करने नन्द यशोदा के धाम। जहां बिराजे जगत के पालक श्री कृष्ण, बलराम। चल रे मनवा … नयन को सुख और चैन मिलेगा ह्रदय बसेंगे श्याम। लीला धर की लीला भूमि करने उसे प्रणाम। चल रे मनवा … शरणागत को शरण मे लेकर सद् गति देना काम। सर्वेश्वर उद्धारक सबके तारण हार है नाम। चल रे मनवा … यमुना जी पटरानी तीरे बसा है गोकुल गाम। पुष्टि पंथ के जनक प्रभु जी करें यहाँ विश्राम। चल रे मनवा … बृज भूमि चौरासी कोस है प्रेम रतन की खान। राधा जी संग रास रचाते हैं कृपा सिन्धु भगवान। चल रे मनवा … चरण धूलि अनुरागी भक्त जन करें सुधा रस पान। कुंड कुंड है मानसरोवर यही इस की पहचान। चल रे मनवा … वृन्दावन की वसुंधरा मे प्रकट है गऊ लोक मान। आत्म तृप्ति अभिलाषी ज्ञानी करते यहाँ पे मुक़ाम। चल रे मनवा … परिचय ...
बोलो जय महाकाल …
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बोलो जय महाकाल …

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** क्षिप्रा मैया से चले मिलने कालों के काल। झूमें नाचे गाये भक्त बजाए झाँझ करताल। बोलो जय महाकाल … बोलो जय महाकाल … पुत्र गणपति खड़े है लेके फूलों की माल। हर्षिद्धी माँ आई लेके आरती की थाल। बोलो जय महाकाल … बनी दुल्हनियाँ अवन्तिका बढ़ गई उसकी शान। क्षिप्रा जी के तट पर आज उड़े रे गुलाल। बोलो जय महाकाल … कर सोलह सिंगार ओढ़ चुनरियाँ लाल। चरण पखारे क्षिप्रा मैया आज हुई रे निहाल। बोलो जय महाकाल … हरि से मिलने आए बाबा पालकी में विशाल। हर्षित होकर मिले गले से मदन गोपाल। बोलो जय महाकाल … दर्शन देने निकले प्रजा को बाबा महाकाल। नगर भ्रमण कर जाने बाबा भक्तों के हाल। बोलो जय महाकाल … परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६ शिक्षा : एम.कॉम, एल.एल.बी. निवासी : उज...
लागी लगन …
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लागी लगन …

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मन मीत मेरे मन भावन की लागी लगन शरण तेरी आवन की मन मीत …. ये दुनियाँ है गहरा सागर भर न सका कोई पूरी गागर जीवन पथ की इन उलझन में मिली छाँव किसे सावन की मन मीत …. बन्दे जितने भेजे जगत् में देकर अपनी वाणी सबने अपने मन मत से तेरी महिमा बखानी मतभेदों की इस दुनिया में भटक रहा है प्राणी तेरी रचना तू ही जाने कौन विधि तुझे पावन की मन मीत …. झूठी है ये जगत् की माया नैनों ने अब तक मुझे भरमाया परिणति है ये तेरी कृपा की मन चाहत हरि गुण गावन की मन मीत…. परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६ शिक्षा : एम.कॉम, एल.एल.बी. निवासी : उज्जैन (मध्य प्रदेश) रुचि : आपकी बचपन में व्यायाम शाला में व्यायाम, क्षिप्रा नदी में तैराकी और शिक्षा अध्ययन के साथ कविता, गीत, नाटक लेखन मंचन आदि में ग...
क्यों लेते हों भगवान परीक्षा
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क्यों लेते हों भगवान परीक्षा

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** क्यों लेते हों भगवान परीक्षा अपने भक्तों की। सहते हो स्वयं भी पीड़ा हरने अपने भक्तों की। क्यों लेते ... राम रुप में धरा पर आए सुन पुकार ऋषियों की। यज्ञ देव का मान बढ़ाया, गोद भरी कौशल्या की। असुरों का उद्धार था करना राह चुनी वन जाने की। वचन बना आधार पिता के, मति मंद करी कैकेयी की। क्यों लेते … परित्याग कर बन्धन सारे, वेश धारण कर विरक्तियों की। चौदह वर्ष भ्रमण कर वन में, निद्रा हर ली लक्ष्मण की। देना था संदेश जगत् को, भाई प्रेम के बन्धन की। चरण पादुका पूजी भरत ने, वियोग में श्री राम की। क्यों लेते ... बाली वध कर सेना बनाई, सुग्रीव संग हनुमान की। सन्तों मुनि यो से पाईं शिक्षा, दिव्यास्त्रों के संधान की। राम से बड़ा नाम राम का, ये महिमा सेतु पाषाण की। रावण वध कर लंका ढहाईं, ली अग्नि परीक्षा सीता ...
राम नाम की महिमा
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राम नाम की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** शाश्वत मंत्र दिया हनुमत ने, उसका हूं मैं सुमिरन करता। करुणा बरस रही ईश्वर की, उससे हूं नित झोली भरता। शाश्वत मंत्र... हनुमत राम जप रहे प्रतिपल, दोनो हाथों इसे लुटाते। जो आस्था को दृढ़ करपाते, उनकी झोली मोती आते। प्रभु चरणों में डाल दुखों को, वोnअभक्तों के दुख है हरता। शाश्वत मंत्र... जिसने भी इस मंत्र को पकड़ा, उसका जीवन धन्य हो गया। शबरी ने था नाम को जपा, दरस को ईश्वर घर पे आगया। शिव जी जपते प्रतिपाल उसको, वो शिव का है पूजन करता। शाश्वतमंत्र ... राम नाम को रोगी जपता, उसकी औषधि है बन जाता, राम राम है योगी जपता तो, आत्मत्व में है जग जाता। सांसों में प्रभु नाम रमा पाया, वो जीवन मुक्त है करता। शाश्वत मंत्र... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणि...
राधा रानी मै बरसाने में …
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राधा रानी मै बरसाने में …

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** राधा रानी मै बरसाने में आ गया, खुद बताओ कि कैसे मनाऊं तुम्हे। तेरे कान्हा के कुछ गीत मैने लिखे, आओ बैठो तो उनको सुनाऊं तुम्हे। राधा रानी... राधा रानी हो तुम, महारानी हो तुम, बृज की गलियों की रसमय कहानी हो तुम। ब्रज में सब हर समय नाम तेरा जपे, राधे राधे ही मै भी सुनाऊं तुम्हे। राधा रानी... जो भी बसते यहां, उनको तुम पालती, उनके नीरस हृदय में, तुम रस डालती। क्या से क्या बन गया हूं, शरण तेरी पा, जानती हो तो क्या मैं बताऊं तुम्हे। राधा रानी... सोते जगते जपो, हंस के गाके जपो, राधा रानी ये सुनने को आ जाएंगी। नाम पावन है, ये बस गया सांस में, रीझकर तुझपे करुणा बहा जाएंगी। तेरा वात्सल्य कितना है प्यारा, चीर अंतर को कैसे दिखाऊं तुम्हे। राधा रानी... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) ...
जय-जय हे बजरंगबली
भजन

जय-जय हे बजरंगबली

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** सदा सहायक देव प्रबलतम, परमवीर हनुमाना। संकटमोचन, शत्रु विनाशक, जय-जय दयानिधाना।। मातु अंजनालाल शौर्यमय, असुरों को संहारें। रामकाज करने को आतुर, पाप जगत के मारें।। सूर्य निगलकर बने अनूठे, वायुपुत्र देवंता। महावीर सुग्रीव सहायक, करें दुःखों का अंता।। भयसंहारक, मंगलकारी, पूजन बहुत सुहाना। संकटमोचन, शत्रु विनाशक, जय-जय दयानिधाना।। दहन करी लंका हे ! देवा, तुम हो प्रलयंकारी। परम शक्तियाँ तुम में रहतीं, बनकर के साकारी।। हे हनुमंता, हे भगवंता, तेरा रूप निराला। हर दिन है उजला हो जाता, हो कितना भी काला।। जीवन सुमन खिलाते हरदम, जग ने तुमको माना। संकटमोचन, शत्रु विनाशक, जय-जय दयानिधाना।। रामदूत, अतुलित बलधामा, जीवन देने वाले। सब कुछ तुम गतिमय कर देते, काट व्यथा के जाले।। सीता की कर खोज बन गए, तुम तो एक कहानी। ...
जय श्री महाप्रभु वल्लभ बोल
भजन

जय श्री महाप्रभु वल्लभ बोल

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** एक सितारा प्रकटा था जग में वाणी में अमृत घोल। श्रीकृष्ण: शरणम मम का मन्त्र दिया अनमोल। श्रीनाथ ज़ी आराध्य उनके रखें उनसे हमजोल। पद वन्दन कर मुख से जय श्री महाप्रभु वल्लभ बोल। श्रीकृष्ण: शरणम मम का मन्त्र दिया अनमोल। ज्ञान बुद्धि विवेक में उनसा था ना कोई मेल पंडित ज्ञानी वेद पुराणी शास्त्रार्थ में सब फेल। तत्व ज्ञान का बोध कराया भेद दिये सब खोल। श्री कृष्ण: शरणम मम का मन्त्र दिया अनमोल। बेठक चौरासी महाप्रभु की निधि बड़ी अनमोल पारायण कर भागवत उद्धृत किये सब बोल। आत्मसात् कर सद्‌गुरु वाणी अन्तर चक्षु खोल। पद वन्दन कर मुख से जय श्री महाप्रभु वल्लभ बोल। एक सितारा प्रकटा था वाणी में अमृत घोल। भक्ति पुष्टि का अलख जगाया सेवा विधि बोल। श्री कृष्ण की लीलाओं से परत पड़ी दी खोल। जनम सफल कर प्राणी अष्टाक्षर मन्त्र बोल। श्र...