चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे
सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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मनहरण घनाक्षरी
भाव- ममता
चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे,
दोनों मिल कुल तारे,
भाग्य पे मैं इतराऊँ
वारी वारी जाऊँ रे।
उठे मेरे साथ साथ,
दोनों ही बटाए हाथ,
मेरी आँखों के हैं तारे,
मैं तो इतराऊँ रे।
दादा दादी के दुलारे,
इनके तो वारे न्यारे,
आशीष सदा ये पाते,
खुशियाँ मैं पाऊँ रे।
लोग कहे मुझे अच्छा,
यही फल होता सच्चा,
सफ़ल जनम हुआ,
प्रभु गुण गाऊँ रे।
परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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