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अमृतपान करातीं हैं मां

 

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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जीवन देने वाली मां
मर-मर कर तुम्हें जन्म देकर
अपने खून अमृत बनाकर
अमृतपान करातीं हैं मां।

अपनी भूख प्यास मिटाकर
हर परिस्थितियों में
आत्मनिर्भरता और
संघर्षपूर्ण जीवन में तुम्हें
अमृतपान करातीं हैं मां।

खूबसूरत विशालकाय
इस सुंदर दुनिया में लाकर,
अनमोल इस धरा पर
जीना सिखाती हैं मां।

ज्ञान का वह सागर जिसमें
ढुबकर ईश्वर भी जन्म लेते हैं
सांसारिक मर्यादा रहकर
मां ने निसंकोच उन्हें भी
गुणवान बनाया
अमृतपान कराया मां ने।

प्राकृतिक सौंदर्य की
जननी भी हैं मां
सृष्टिकर्ता ने अद्भुत
प्रकाशमान बनाया मां को
सूर्य का प्रकाश भी फिका
ऐसा व्यक्तित्व से गगन
रोशन किया हैं तभी तो
मां ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक है
हमें जीवन दान दिया है
अमृतपान कराया है मां ने।

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय संखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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