आज खुशियो से पलके भिगोने लगे है
प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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उनींदे आँखों से सपने संजोने लगे है।
आज खुशियो से पलके भिगोने लगे है।।
मिलेगी मंजिल हमें भी कभी ना कभी।
इसी विश्वास से उम्मीद जगाने लगे है।।
कर्म करेंगे निश्चित ही सफलता मिलेगी।
बढ़ते बढ़ते जीवन मे तरलता मिलेगी।।
इसी चाहत मे नित सपने संजोने लगे है।
आज खुशियो से पलके भिगोने लगे है।।
सफलता के होंगे बेशक़ मायने कई-कई।
हर पल करते रहेंगे हम उद्यम नई-नई।।
उद्यम से अब मंजिल करीब आने लगे है।
आज खुशियो से पलके भिगोने लगे है।।
दृढ़ संकल्प ले लक्ष्य की ओर जो बढ़ता है।
सफलता के इतिहास निश्चित वही गढ़ता है।।
रास्ते के रोड़े भी अपनी जगह बदलने लगे है।
आज खुशियो से पलके भिगोने लगे है।।
आज निश्चित ही खुशियो का दिन सुहावन है।
ये मंजिल भी कितनी भली और मनभावन है।।
आज तो सपने हकीकत मे बदलने लगे है।
आज खुशियो से पलके भिगोने ल...
























