नवोदित सृजनकार मसीहा
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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सरस्वती देवी मां कृपा,
महिमा सुनी सुनाई है।
कर्म-मर्म की सभी अच्छाई,
समाज हित बरसाई है।
परवरिश कहानी कहती है,
कसर बाकी राह ना जाये
अपनी कुव्वत से भी ज्यादा
बच्चों को अर्पित हो जाये
यह भाव समाया जब दिल में,
कौन तुम्हें फिर रोकेगा
बाधा विलंब तो लिखी बदी
होना जो वो होवेगा।
कर्मों के फल का संतोष यही,
तन-मन से शक्ति पाई है
कर्म मर्म की सभी अच्छाई
समाज हित बरसाई है
सरस्वती देवी मां कृपा,
महिमा सुनी सुनाई है।
कलमकारों का कलम बल ही
साहित्य मिसाल बनाती
समाज को दर्पण दिखलाने,
जब लेखनी दम दे जाती
'माखन'' दिनकर ''सरल' 'निराला'
'पंत' 'गुप्त' पाठ पढ़ाती
रचनाकारों के शब्द भाव
समस्या का हल दिखलाती
इतिहास गवाही देता है,
लेखन बल चतुराई है
कर्ममर्म की सभी अच्छाई
समाज हित बरसाई है
सरस्वती देवी मां कृपा
महिमा सुनी सुनाई है...