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पद्य

भोर की ठंडी छुअन
गीतिका

भोर की ठंडी छुअन

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** भोर की ठंडी छुअन-सी, प्रीति का अहसास हो तुम। चंद्र मुख पर खिलखिलाता पूर्णमासी हास हो तुम।।१ रूपसी हो देख कर, शृंगार भी तुमको लजाता, रत्नगर्भा पर सजा, सौंदर्य का मधुमास हो तुम।।२ बिन तुम्हारे सब तिमिर घन, आ खड़े हैं क्लेश लेकर, जिन्दगी का हो उजाला, हर्ष का आभास हो तुम।।३ शील संयम ज्ञान साहस, उर दया भरपूर लेकिन, भूख तन की प्यास मन की, प्राण का वातास हो तुम।।४ बन पपीहा मन पुकारे, मैं यहाँ पिय तुम कहाँ हो, द्वार सजती अल्पना हो, पर्व का उल्लास हो तुम।।५ रागिनी हो राग हो सुर ताल लय का तुम निलय हो, धड़कनों से छंद गाती, गीत का विश्वास हो तुम।।६ कुंज 'जीवन' का सुवासित आ करो मधुमालती बन, मोगरा, चम्पा, चमेली, कौमुदी से खास हो तुम।।७ परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा ...
हिन्दू नववर्ष
धनाक्षरी

हिन्दू नववर्ष

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** मनहरण घनाक्षरी हिन्दू नववर्ष आया, चारों ओर हर्ष छाया, नई किरण का सब स्वागत तो करिए। दीप मंगल जलाए, अंधकार को मिटाए, नई उम्मीदों के साथ प्रेम गीत गाइए। राग-द्वेष छोड़कर, स्नेह-भाव बहाकर, समानता के भाव से साथ-साथ चलिए। सोच सदा मंगल हो, धर्म-कर्म मंगल हो, चहुंओर मंगल हो ऐसा भाव रखिए।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी सम्प्रति : अध्यापन कार्य, आर्टस कॉलेज मोडासा, जि. अरवल्ली, गुजरात प्रकाशित रचनाएँ : ४० से अधिक पद्य रचनाएँ प्रकाशित, नेशनल और इंटरनेशनल पत्र-पत्रिकाओं में ३५ से अधिक शोध -पत्र प्रकाशित । प्रकाश्य पुस...
हमें वो याद आते हैं
कविता

हमें वो याद आते हैं

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** जरा सी बात से अक्सर, हम इतना टूट जाते हैं। वो हमको भूल बैठे हैं, हमें वो याद आते हैं। हमारी गिनती होती है, शहर के गुनहगारों में, गलतियां कोई करता है, सजा बस हम ही पाते हैं। वो अब तक मुझसे रूठा है, कोई उसको मनाओ अब, वहां वो रूठ जाते हैं, यहां हम टूट जाते हैं। ज़माने की हकीकत को अभी तुम जानते हो क्या, जिन्हें हम दिल से चाहेंगे, वही अक्सर रुलाते हैं। मेरे सारे गुनाहों की सजा मुझको मुनासिब हो, वो मेरी खातिर क्यूं तड़पे, जिसे हम ही सताते हैं। यहां हम छोटी बातों को लगाकर दिल से बैठे हैं, वो अक्सर दिल से रोते हैं, मगर सबसे छुपाते हैं। मैंने इन चंद छंदों में है दिल का दर्द लिख डाला, पढ़कर तुम भुला देना, हम लिखकर भूल जाते हैं। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहस...
अस्तित्व
कविता

अस्तित्व

प्रीति तिवारी "नमन" गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** अपनी इच्छाओं के वश हो, ना मुझे जंजीर बांधो, सृजन, करुणा प्रेम संबल से हृदय की पीर साधो। दमन की दीवारें तोड़ो, होने दो अन्तस उजाला, मिटाकर विभेद मन के, प्रेम की ओढें दुशाला। सुरमयी सी साँझ में, खुद को अकेला पाओगे जब, पवन के झोंकों के संग कोई गीत मेरा गाओगे तुम। माँ-बहन बेटी प्रिया पत्नी सभी है रूप मेरे, जन्म से लेकर मरण तक, निरंतर कर्तव्य मेरे। दुख व संकट के समय में, मैं सदा संबल बनी हूँ, उलझनों की गिरहा खोलू, सवालों के हल बनी हूँ। आसमां मुझसे ना छीनो, हैं जमीं मे पांव मेरे, पंख ना नेकी के काटो, उड़ने को हैं ख्वाब मेरे। सांस में हूँ, धड़कनों में, यादों में नयनों से बहती, आह ना निकले हृदय से, दर्द, सारे हँसके सह्ती। सच, दया और न्याय करुणा, धरा सा व्यक्तित्व मेरा, बिन ...
जिंदगी के ख्वाब
कविता

जिंदगी के ख्वाब

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** शराब पीकर रातों को बने शहंशाह सुबह हो जाते भिखारी बच्चे स्कूल जाते समय पापा से मांगते पॉकेट मनी ताकि छुट्टी के वक्त दोस्तों को खिला सके चॉकलेट| फटी जेब और खिसियानी हंसी बच्चों को दे न पाती पॉकेट मनी और उनके लिए कभी कुछ कर न पाती बच्चों के चेहरे की हंसी को छीन लेती इसलिए होती शराब ख़राब| सुनहरे ख्वाब दिखाती किंतु वादे पूरे ना कर पाती डायन होती शराब पूरे परिवार को खा जाती और उजाड़ जाती जिंदगी में बने हुए ख्वाब। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक...
माफ़ी
कविता

माफ़ी

साक्षी उपाध्याय इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** क्या संभालेगा ये बेदर्द ज़माना तुम्हें, जो जताता है झूठी मुहब्बत तुम्हें, अच्छा हुआ जो तुमने हमसे नफरत की, हम देते हैं बेपनाह नफरत करने कि इजाज़त तुम्हें। जब तुम्हारे खिलाफ होगा ये ज़माना, तो तुम लौट के आ पाओगे क्याॽ एक दिन तुमने हमसे दगा किया था, अपना चेहरा भी हमें दिखा पाओगे क्याॽ अगर तुम्हें हमारी ज़रा भी परवाह है, तो सुनो सुनाते हैं सच्ची बात तुम्हें कई बार डुबा देते हैं तुम्हारे दिल के जज़्बात तुम्हें। अगर तुम अपनी सारी खताओं को कुबूल करते हो, तो हम देते हैं माफ़ी, तोहफा-ए-खैरात तुम्हें ।।.. परिचय :- साक्षी उपाध्याय आयु : १५ वर्ष निवास : इन्दौर (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
मेरा नव वर्ष आ गया
कविता

मेरा नव वर्ष आ गया

रामकुमार पटेल 'सोनादुला' जाँजगीर चांपा (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा नव वर्ष आ गया अब, सजी धरा विशेष है। सुरेश महेश दिनेश रमेश, हाथ जोड़े शेष है। आदिशक्ति की वंदना करत, प्रसन्नता छाई है। नया वर्ष हिंद की आपको, हृदय से बधाई है। जन जन का जो जन त्राण करे, चाह जन कल्याण हो। मृत चेतन में जो प्राण भरे, चले न शब्द बाण हो। ऐसे सज्जन हेतु यह वर्ष, विशेष मंगलमय हो। शोषित होकर पोषण करते, कृषक वर्ग की जय हो। रंग-बिरंगे फूल खिले हैं, प्रकृति देख हर्षित है। हिंदू नव वर्ष हमारा तो, सदियों से चर्चित है। भँवरे कोयल स्वागत करते, मधुर गीत सुना रहे। त्रिविध बयार इत्र छिड़क चली, सभी के मन भा रहे। सबको उचित न्याय मिले और, सबका सम भाव बने। सबको समान सम्मान मिले, मन हो नहीं अनमने। रामकुमार के मन में यही, आज बात आई है। हिन्दू नया वर्ष की सबको, हृदय से बधाई है। च...
घिरी मझधार में नैया
ग़ज़ल

घिरी मझधार में नैया

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ घिरी मझधार में नैया मुसीबत ने भी मारा है सुनो हे मातु नवदुर्गा तुम्हें मैंने पुकारा है सजाऊँ माँग में बेंदी दमकती नाक में नथुनी चुनर है लाल तेरी माँ सितारों से सँवारा है गले में हार है शोभित लिए हो हाथ में खप्पर बजे जब पाँव में पायल लगे सुंदर नज़ारा है बड़ा हूँ पातकी बालक सदा करता हूँ नादानी करो उद्धार माँ अब आपका ही इक सहारा है तुम्हारे ही सहारे है भवानी अब मेरी कश्ती करो अब पार रजनी को नहीं दिखता किनारा है परिचय : रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' उपनाम :- 'चंद्रिका' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता माता - श्रीमती रामदुलारी गुप्ता पति :- श्री संजय गुप्ता जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड व्यवसाय :- गृहणी प्रकाश...
काश तुम
कविता

काश तुम

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** काश तुम भी वो सब कुछ कर पाती, जो तुम करना चाहती हो। काश तुम.... क्यो तुम अपने सपनो को दबाए रखती हो, अपनो की खुशी के लिए। क्यो तुम्हे ही हर बार झुकना पडता है, अपनो की खुशी के लिए। क्यो तुम्हे ही हर बार समझना पड़ता है, अपनो की खुशी के लिए। काश तुम भी वो सब कुछ कर पाती, जो तुम करना चाहती हो। काश तुम... काश तुम एक लड़की होकर भी, वह सब कुछ कर पाती जो, तुम करना चाहती हो। काश तुम.... परिचय :-  आयुषी दाधीच शिक्षा : बी.एड, एम.ए. हिन्दी निवास : भीलवाड़ा (राजस्थान) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
आया रे हिंदू नव वर्ष महिना
कविता

आया रे हिंदू नव वर्ष महिना

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आया रे हिंदू नव वर्ष महिना भाया रे हिंदू नव वर्ष महिना चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा साजे नवरात्रि पर ढोल मंजिरा बाजे मन भाया रे नव वर्ष महिना.. पेड़ों में नये-नये कोंपलें आती वसुंधरा माॅं की शोभा बढ़ाती हर्षाया रे नूतन वर्ष महिना.. राम नवमी में श्रीराम जनमे आदर्श को अपनाओ मन में सरसाया रे नव वर्ष महिना.. मनोरम दृश्य प्रकृति ने सॅंवारी हैं शिक्षा दीक्षा से संस्कृति न्यारी हैं आया रे सहर्ष नव वर्ष महिना.. सुख व समृद्धि जीवन में भरा हो हर्षोल्लास उमंग मन में उमड़ा हो बताया रे श्रवण हर्षित जीना.. परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं म...
चैत्र नवरात्रि
भजन, स्तुति

चैत्र नवरात्रि

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चैत्र नवरात्र आया। संग में दुर्गा उत्सव लाया। सबके उर अपार हर्ष छाया। प्रतिपदा तिथि नव वर्ष आया। नव विक्रम संवत लाया। नौ दिन नव दुर्गा पूजन हम। सब गुड़ी पड़वा आरंभ करे। सकल भारत प्रतिपदा तिथि आरंभ कर, नवमी तिथि तक। नौ दिन पूर्ण श्रद्धा संग उपवास। कर जो भी पूजन अर्चन वंदन। करें उसके उर भाव भक्ति। आत्मविश्वास पूर्ण शक्ति। भर जाता हम सब के दुख। संकट हर जाता। नौ दिन मां दुर्गा मनाओ। रोली, अक्षत, पुष्प अर्पित कर। मां आशीर्वाद भक्त सदा पाएगा घोर संकट जीवन से दूर हो। जावेगा, हम सबका जीवन। आनंदित हो जावेगा। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
नवसंवत्सर मंगलमय हो
कविता

नवसंवत्सर मंगलमय हो

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** "नल" अभिधान नव संवत् का, राष्ट्रार्थ उपयुक्त जलमय हो | माँ भारती की समस्त संततियों को, नव संवत्सर मंगलमय हो ||मां भारती की...... धर्म ध्वजा लहराऐं प्रति गृह, वसुधा सारी तो निरामय हो | हो आपदा मुक्त धरा ये अब, जग सारा अब सुखमय हो || माँ भारती की.... अयोध्या जैसी दिव्य बनेगी, काशी मथुरा भी दिव्यमय हो | विश्व गुरु बने पुनः आर्यावर्त, शिक्षा भारत की अमृतमय हो || माँ भारती की ... धर्म ध्वजा प्रति द्वार की, शंख-घंटा ध्वनि अमृतमय हो | उपवास शिव शक्ति उपासकों का, जग के लिए परम-कल्याणमय हो || माँ भारती की .... उपासना राष्ट्र सेवक-नायक की, राष्ट्र के लिए सुसमृद्धिमय हो | शिव-शक्ति उपासकों की उपासना से, भारत सदा प्रगतिमय हो || माँ भारती की.... माँ भारती की समस्त संततियों को, नव संवत्सर मंगलमय हो | माँ भारती की समस्त ...
नव वर्ष पर प्रार्थना
कविता

नव वर्ष पर प्रार्थना

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परमेश्वरा ! नववर्ष पर वर दो नव परिभाषा, नव आशाएँ हरी भरी हो दसों दिशाएँ मल्हार नदियाँ गुनगुनाए अधखिली कलियाँ ना मुरझाए परमेश्वरा ! नववर्ष पर वर दो दीन हीन दुःखी मुस्काए महामारी बेकारी जाए आतंक भ्रष्टाचार मिट जाए रामराज्य धरा पर आ जाए हे परमेश्वरा ! नव वर्ष पर वर दो सर्वजन सुखी हो जाए सरहदों पर शांति छाए नव उड़ानें अंतरिक्ष सजाए परचम भारत का लहराए परमेश्वरा ! नव वर्ष पर वर दो परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
श्री सिद्धिविनायक
भजन, स्तुति

श्री सिद्धिविनायक

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हे ऋद्धि सिद्धि के मम दाता तुम ही हो मेरे भाग्य विधाता पूर्ण करो प्रभुजी सब काजा ॐ गं गं गं गणपति-गणेशा भक्त तेरा, पड़ा घने-क्लेशा तुम्हीं आन दूर-करो-द्वेषा ॐ कं कं कं कालिके-नँदन करूं गौरी - सुत स्नेह वँदन भरो ह्रदय मेरेss आनन्दन ॐ शंशंशं शिव शम्भू प्यारे भव पार करो सुरेश्वरम न्यारे ॐ गं- गं- गं- गजानन देवा जीवन में छाया घना अँधेरा सिद्धिविनायक करो सवेरा श्वांस श्वांस तुम्हरे गुण गाऊँ जोई जोई माँगूँ सो ही पाऊँ राजीव डोगरा के हो प्यारे भाग्य-विधाता पालन हारे गं गं गं गं गणपति विधाता दूर हो दुःख जो तेरे गुणगाता परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्...
करोना
कविता

करोना

पूजा महाजन पठानकोट (पंजाब) ********************  काश ऐसे दिन जल्द आएं कि जीवन से करोना का नामो निशान मिट जाए फिर वही पुराने दिन लौट आए खुशियों से जीवन का हर कण-कण मुस्काए काश ऐसे दिन जल्द आए .... परिचय :- पूजा महाजन निवासी : पठानकोट (पंजाब) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह ...
हे नववर्ष अभिनन्दन है..
कविता

हे नववर्ष अभिनन्दन है..

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज' बागबाहरा (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दू नववर्ष तुम्हारा अभिनन्दन है हर्षित है जग सारा करता तुम्हारा वन्दन है सूरज की नवल किरणें करती जग वन्दन है अभिनन्दन-अभिनन्दन नववर्ष तुम्हारा वन्दन है फूले किंशुक पलाश फूली सरसों पीली फूले फूल तीसी नीली-नीली हुलसित पक गई खेतों में गेहूँ की सुनहरी बालियाँ कमल खिली लगी मुस्कुराने ताल हुई हर्षित बागबां महक उठे जब खिले फूल फूलन खेतों में मेड़ों में सुवासित कछारन कूलन अतृप्त मन प्यासी धड़कन मिटने लगी जलन आनन्दित होकर चुन चुन गजरा बनाई मालिन धरा ने ओढ़ ली सुनहरी चादर की किरणें मोतियों ज्यों चमकने लगी पत्तों में ओस की बूंदें लहक लहक लहकने लगी कानों के बूंदें स्मित रक्तिम अधरों पर मुस्कुराती जल बूंदें सतरंगी रंगों से रंगने लगी घर आंगन और बाग बहकने लगी आम अमरैया दहके मन की आग फूले फूल टेसू के ऐसे ...
मेरी परछाई
कविता

मेरी परछाई

डॉ. कुसुम डोगरा पठानकोट (पंजाब) ******************** मेरी परछाई बन मेरे साथ रही मेरी गुड़िया अब तक ना जाने पति का घर देखते ही क्यूं मुझसे दूर हो गई क्यूं मेरे आंचल को उदास कर गई वो उसका आंचल में छिप जाना और लोगों के देख घबरा कर पल्लू को जोर से पकड़ लेना आज मेरी परछाई क्यूं मुझसे दूर हो गई मेरा आंचल उदास कर गई। वो छुई मुई सी कली का रेत के घरौंदे बनाना भाई के दोस्तों संग क्रिकेट खेलना कुत्तों को दूर से ही देख घबरा जाना घर के अंदर ही बात बात पर इजाज़त लेना मुझे किसी के साथ देख कर ईर्षा करना घर में मेरी छवि बन इठलाना चुपके-चुपके मेरी नकल करना आज मेरी परछाई मुझसे दूर हो गई क्यूं मेरा आंचल को उदास कर गई.... परिचय :- डॉ. कुसुम डोगरा निवासी : पठानकोट (पंजाब) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है...
नौ दिन के त्यौहार नवरात्रि
आंचलिक बोली

नौ दिन के त्यौहार नवरात्रि

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** छत्तीसगढ़ी नौ दिन के त्यौहार हे माता के लगे दरबार हे, संकट के हराईया, सुख सम्रध्दी के देवईया माता के त्यौहार हे.! मंदिर देवालय सब दो साल ले बंद रिहिस भक्तों के मन मे दुख रिहिस, इही साल कृपा ला बनादे संकट ला हटा दे, सबके जीवन मा खुशियां बना दे.! लगे हे दरबार माता के सब भक्तन खडे हे झोली फयलाये, माता के कृपा आपार हे जइसे करबे वइसे फल मिलही तभी मानव जीवन के उध्दार हे.! नव दिन ले नव रुप धरतस दुष्टो के संघार करतस, आती बेरा खुशी लाथस विदा के बरे आसु आ दे जातस..!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं...
फासले
कविता

फासले

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जिंदगी की राहों में मिले कई मुकाम थे गुजर गए, गुजर गए वो फासले हर कोई नया मिला हर किसी ने शिकवे किए फिर, फिर दिल के आईने में झांक कर कर गए फासले चले गए दूर बहुत दूर रह गए अकेले कल जो अपने साथ थे। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक ...
लेखनी राम लिखेगी
भजन, स्तुति

लेखनी राम लिखेगी

डॉ. सुलोचना शर्मा बूंदी (राजस्थान) ******************** ‌ आज लेखनी राम लिखेगी ‌ है राम में चारों धाम लिखेगी... ‌ ‌ कुल पुरखों की रीत निभाने ‌ पितृ वचनबद्ध हो जिसने ‌ त्याग दिया सर्वस्व पलों में ‌ ऐसा अनुपम काम लिखेगी.. ‌ आज लेखनी राम लिखेगी ! ‌ ‌वानर, रिक्ष, केवट, शबरी के, ‌ रज लपेटती गिलहरी के ‌ भील निषाद, ऋषि, असुरों के .. ‌ हैं सभी के श्री राम लिखेगी.. ‌ आज लेखनी राम लिखेगी! ‌ ‌पाहन को भी मुक्त किया था ‌ छूकर उसको मोक्ष दिया था ‌ माता कहकर मान दिया था ‌ वो नारी का सम्मान लिखेगी.. ‌ आज लेखनी राम लिखेगी! ‌ ‌पूरब पश्चिम दक्षिण उत्तर ‌ निशा सांध्य और भोर दोपहर ‌ इस सृष्टि के रज कण कण पर ‌ स्वयं सिद्ध श्री राम लिखेगी.... ‌ आज लेखनी राम लिखेगी! ‌ ‌झूठ क्रोध और लोभ नहीं था ‌ प्रजा प्रमुख थी राज गौण था ‌ रीति नीति से ओतप्रोत था ‌ मर्यादा पर्याय लिखेगी.. ‌...
मेरा हिन्दू नववर्ष
कविता

मेरा हिन्दू नववर्ष

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** विक्रम संवत में है हिदू नववर्ष चैत्र शुक्ल का है प्रथम दिवस भक्ति से शक्ति यह फैलाता है नव संवत्सर कहलाता शुभदिन सृष्टि सृजन किया था ब्रह्मा ने हिन्दूराज्य विस्तारा था शिवा ने राज्यस्थापन विक्रमादित्य का राजा राम अवध अवतरित हुए फसलें पकती जब बसन्त आता ये निराला जन्म नव भाव जगाता धानी चुनरियाँ माँ धरा ओढ़ लेती झूलेलाल अवतरण भी छा जाता गुड़ीपड़वा पे पूरण पोली श्रीखंड नीमपर्ण मिश्री का करते हैं सेवन सुस्वास्थ्य कामना प्रभु से करते हैं परम्पराओं से ही होता है कल्याण वीणापाणि का करें आओ आव्हान विद्या बुद्धि वाणी कला का वरदान हर घर के द्वारे सज जाए वन्दनवारे हर इंसान बने भारत का अभिमान परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित...
आंखो से अभी तक उजाला न गया
कविता

आंखो से अभी तक उजाला न गया

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** "खिलौना समझ कर वो दिल तोड़कर जब चलते बने" दर्द ए दिल को मेरी ये कलम से शब्दों मे ढाला न गया गम के निकले इन अश्कों को आंखों से निकाला न गया। उसने दिल को दर्द दिया ही इसलिए यारों क्योंकि उससे मेरे ये इश्क का इजहार संभाला न गया। वफा है या बेवफाई है हमने भी समझने में जल्दी की है वक्त रहते उसके इस दिल को खंगाला न गया। नियत उसके प्यार की आंखों में पढ़ नहीं पाए हम जब किया उसने प्यार का इजहार हमसे भी टाला न गया। खिलौना समझ कर वो दिल तोड़ कर जब चलते बने इस नाजुक दिल को फर्श पर हमसे भी उछाला न गया। हमने तो आबे हयात समझा था उसके इश्क को यारो मगर ये जहर निकला दिल की आंच से उबाला न गया। इश्क में इंसान अंधा होता है हमने भी ये सुना है यारो मगर ये दिले मजबूर की आंखों से अभी तक उजाला न गया। परिचय :- सीतारा...
चाँद से मुलाक़ात!
हिन्दी शायरी

चाँद से मुलाक़ात!

रामकेश यादव काजूपाड़ा, मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इश्क में कोई शिड्यूल कास्ट नहीं होती, इसमें कोई छुआछूत की बात नहीं होती। जवां दिल मचल जाता है कहीं पर यूँ ही, पर दिन में चाँद से मुलाक़ात नहीं होती। जिस्म तन्हा, बेचारा जां भी तन्हा क्या करे, छाती हैं काली घटाएँ, बरसात नहीं होती। टुकड़े-टुकड़े में बीत जाता है दिन अपना, मगर मुझसे अब वो खुराफ़ात नहीं होती। हुस्न की पनाह में इश्क लेता है साँसें, उस संगमरमरी बदन की जात नहीं होती। जिस सूरत को मैंने देखा कहीं और नहीं, बात इतनी है उससे मुलाक़ात नहीं होती। कुदरत हमारी जरुरत की हर चीज बख्शी, लोग रहते घमंड में, बस बात नहीं होती। कत्ल कर देती हैं बिना तलवार से नजरें, दूर-दूर रहने से रंगी रात नहीं होती। प्यार के कितने भी टुकड़े तुम कर डालो, मगर उसकी चाहत कभी कम नहीं होती। मजे में रहो औ खुश रहो ऐ...
तू शीतल मंद समीर
कविता

तू शीतल मंद समीर

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** तू शीतल, मंद समीर बनी, ठंडक मुझको पहुंचाती है। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार के नग्में गाती है।। ठंडा करना तेरा गुण है, तू गहरा शांत सरोवर है। मैं सरिता का चंचल चेहरा, निर्भीक बनी तू पत्थर है।। हर चोट सहज ही सह लेती, हंसती मूरत मदमाती है।। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार के नग्में गाती है।। संतोषी है तू साबिर है, खुश उसमें जो मिल जाता है। राजी तू रब की मर्जी पर, हर मौसम तुझ को भाता है।। घर भर को तृप्त करें पहले, कब भूख तुझे तड़पाती है। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार के नग्में गाती है।। ठंडी पट्टी जब माथे की, तपते तन की बन जाती तू। छू मंतर कर देती दुख सब, यूँ चारागर कहलाती तू।। "अनंत" तू ममाता की देवी, शीतलता तेरी थाती है। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार क...
मौसम संमदर किनारा
कविता

मौसम संमदर किनारा

अलका जैन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मौसम संमदर किनारा मेहबूब पैसै लोक डाउन ने सब पर पानी फेरा करोना जीते जी मार डाला यार मंझधार में साथ रहे किनारे पर वो अजनबी बन गया हाय रो मत दुनिया में होता लाख बहाने मरने के यार तू सिर्फ एक सहारा जिंदगी का बस मै नहीं तू ही तू कस्मे वादे प्यार वफा बेकार जिस्म की चाहते सबसे पहले नया दौर मेहबूबा चाहे इश्क नादानी करें महफ़िल यार दोस्त खुशी पैमाना दुनिया बदला पैमाना मंहगी वस्तु खुशी दे तेरा को देख खुश कोई लहू संग अश्क बह रहे अश्क बाहाये समझा कौन दर्द ए मुफलिस दर्द-दर्द और दर्द मुफलिस की जिंदगी हुनर को दाद दे कौन माया दिवानी कला को मान दे कोन हुनरमंद कैसे हूनर निखारे यारो अश्क तेरे ही नहीं दीवाने दुनियाभर की आंखों नम क्या तू क्या जाने अश्क पीता जा और जी मिलेगी मंजिल एक दिन तुझे भी भटक घूमना ना छोड़ हुनर...