भाषा व्यक्तित्व का दर्पण
डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)
********************
पंक्ति नहीं वो जिसमें
बहती संस्कृति की धार नहीं
नहीं काव्य वह जिसमें
मानवता का प्यार नहीं
नहीं कला वो
जो न उद्वेलित करती हो
नहीं काव्य रचना वो
जो न प्रेरित करती हो।
साहित्य नहीं जो करता
ईश्वर की रचना को साकार नहीं
मानवीय मूल्यों का जो
बनता आधार नहीं।
संस्कृति, मानवता का वाहक
साहित्य की अपनी मर्यादा है
समाज के दर्पण को
जीवन मूल्यों से कर सज्जित
साहित्य वही कहलाता है।
ऊर्जित करने जन-धन को
साहित्य रचा जाता है
जिसमें न हो प्रेम मनुजता हित
जहां समर्पण नहीं राष्ट्र हित
वह कविता कब कहलाता है?
शब्दों को न रख मर्यादित
जो तीखे बाण चलाता है
मानव हृदय नहीं वो
कौओं की टोली कहलाता है।
परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्...























