जो आसमां को छूने के ख्वाब देखते हैं।
मईनुदीन कोहरी
बीकानेर (राजस्थान)
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जो आसमां को छूने के ख्वाब देखते हैं।
हम तो उन्हें दर-दर ठोकरें खाते देखते हैं।।
हम तो सदा अपनी औकात में ही रहते हैं।
क्योंकि हम तो ख्वाहिशें ही नहीं रखते हैं।।
नजूमियों के चक्कर मे न पड़ मेरे दोस्त ।
हम तो मेहनत व दिमाग से काम करते हैं।।
दुनियां में धन-दौलत की तो कमी नहीं ।
हम तो किस्मत के लिखे पर विश्वास रखते हैं।।
"नाचीज़" हम मज़हब के घेरे से कोसों दूर हैं।
हम तो सर्वधर्म-समभाव में विश्वास रखते हैं।।
परिचय :- मईनुदीन कोहरी
उपनाम : नाचीज बीकानेरी
निवासी - बीकानेर राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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