कितने रहमो करम हो लिये
डॉ. कामता नाथ सिंह
बेवल, रायबरेली
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आपके कितने रहमो करम हो लिये
जितने गम हो लिए, उतने कम हो लिए
अपना दीवानापन रोज बढ़ता गया
जितने तुम हो लिए उतने हम हो लिए
चाहतों की जमीं गुनगुनाती रही
ख्वाब कितने तुम्हारी कसम हो लिये
तन पे यादों की चूनर लपेटे हुये
मन कहे यूँ ही सौ-सौ जनम हो लिए
राह में जिन्दगी की अकेला हमें
देखके हमसफर लाख गम हो लिये
परिचय :- डॉ. कामता नाथ सिंह
पिता : स्व. दुर्गा बख़्श सिंह
निवासी : बेवल, रायबरेली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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