विश्वासघात का मकड़जाल
ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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सोचता हूँ विश्वास की लहरों में
विश्वास के जोश में उड़ जांऊ
विश्वास का लगा पंख पखेरू
सोचता हूँ मिलेगी की लहरें
विश्वास से ऊंचीउड़ान भर पाऊं।।
विवेक से मै अलमस्त उड़ता जांऊ
आंधी तूफान से भी लड़ता जांऊ
मनमस्तिष्क में रख शीतल गहराई
शीतलता की छाँव में ठाँव में पाँउ
विश्वास से उड़ान मैं भर पाँउ।।
निस्वार्थ से उड़ान जब भरूँ
निस्वार्थ की मंजिल बस मैं पाँउ
जख्म विश्वासघात का किसे बताऊँ
विश्वास में विश्वासघात का निशाना
विश्वासघात मैं अब पिसता पाँउ।।3
घातक तीर लगा कि पंख बचा न पाँउ
विश्वास करुं जितना, घात उतना पाँउ
विश्वास की उड़ान भरूँ विश्वासघात पाँउ
भरता हूँ उड़ान, षड्यंत्र का तीर मैं पाँउ
विश्वास की उड़ान भरने में समझ न पाँउ
विश्वासघात के मकड़जाल में, उड़ न पाँउ।।
परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रू...



















