देखो वो चांद आया
रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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देखो वो चांद आया
करवा का चांद आया
कही बदलो में छुपता
कही डूबता निकलता
वो देखो चांद आया
करवा का चांद आया
खेले छुपन छुपाई
देते तूझे दहाई
वो देखो चांद आया
इठलाता चांद आया
बलखाता चांद आया
उसका गुरुर देखो
उसको जरूर देखो
कैसा सलोना दिखता
वो देखो चांद आया
करवा का चांद आया
साजो श्रृंगार देखो
रूपसी का हार देखो
वो चांद सा है दिखता
पर चांद को है तकता
देखो वो चांद आया
करवा का चांद आया
सोलह श्रृंगार करके
व्रत और उपवास करके
निर्जल बिताये है दिन
गिन गिनकर ये पल छिन
तब जाकर कहीं वो आया
वो देखो चांद आया
करवा का चांद आया
सखियों ये अर्ध्य देकर
नैवैद्य से सजाकर
कर लो यही विनती
सौभाग्य की हो वृद्घि
कर लो ये व्रत अब पूरी
सब कामना हो पूरी
देखो वो चांद आया
करवा का चांद आया
परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग ...






















