प्रतिज्ञा
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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ये कैसा महारथ
ये कैसा पराक्रम
ये कैसी श्रेष्ठता
भरे दरबार मे
एक स्त्री के शील की
रक्षा करने में असमर्थ
महारथी ,कुल शिरोमणि।
ये कैसा पुरुषार्थ
ये कैसा साहस
निशक्त विचित्रवीर्य के लिए
कर लेते हो अपहरण
अंबा, अम्बिका, अंबालिका का
उनकी कामना के विरुद्ध
जाकर बांध देते हो उन्हें परिणय सूत्र में तुम
महारथी, कुल शिरोमणि।
पिता शांतनु की काम लोलुपता पर
अपने स्वप्नों व दायित्व का बलिदान
कर दिया तुमने, देवव्रत
काश, किंचित सोच लेते
मातृभूमि के लिए तत्समय
जो तुम्हारे निज नाम से बड़ी थी
महारथी, कुल शिरोमणि।
तुम्हारा मौन
तुम्हारी सहमति बन
कुल को ला खड़ा कर देता है
विनाश के द्वार पर
तुम क्या सोचते रह गए
हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए
महारथी, कुल शिरोमणि।
उतरे भी रणभूमि में
अनीति का साथ देते
परिलक्षित हुए,
काश की तुम भी दिखाते साहस
युयुत्सु जैसा
तुमने अपने
प...

























