कोयल
मीना सामंत
एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली)
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सुबह-सुबह ही कोयल क्यों जगा रही हो?
सो रहा है जहाँ तुम मीठी तान सुना रही हो!
आठों पहर आजकल यूँ कुहुकने लगी हो
माँ के आंगन की याद सी चहकने लगी हो!
अब मेरी खामोशियों में मुझे अश्रु बहाने दे
अपनों की यादों के सावन में मुझको नहाने दे!
खूबसूरत लम्हों को कुछ पल मुझको जीने दे,
हो रही है चाय ठंडी अब तो मुझको पीने दे!
मैं लेकर बैठूंगी जब भी अपनी कलम दवात,
लिख डालूंगी अपने सभी अनकहे जज्बात!
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परिचय :- मीना सामंत
एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली)
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