सीता बनना सौभाग्य कहां
अर्पणा तिवारी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************
सीता बनना सौभाग्य कहां
अगणित तुमको शूल मिले,
वनवासी तो राम रहे पर,
तुमको भी कब फूल मिले ..
आदर्श बनीं तुम जग में,
पतिव्रत धर्म निभाया था,
त्याग समर्पण का पथ तुमने,
जग को दिखलाया था,
जनक सुता होकर भी तुम,
महलों में कब रुक पाई थी,
आदर्शो की राह दिखाने,
पुण्य धरा पर आई थी,
राम प्रिया से मानव को,
कितने जीवन मूल्य मिले,
वनवासी तो राम रहे पर,
तुमको भी कब फूल मिले...
अग्नि परीक्षा देकर तुम,
खुद को निर्दोष बताती हो,
परीक्षा स्वीकार करे ना जग
तो धरती बीच समाती हो,
त्रेता युग की उस अग्नि परीक्षा को
कलयुग में ऐसा मोड़ दिया,
चरित्र शुद्धता से मानव ने,
फिर उसको जोड़ दिया,
राम के आदर्शो को भुला नर,
नारी सीता तुल्य मिले,
वनवासी तो राम रहे पर,
तुमको भी कब फूल मिले....
माफ़ करो तुम जनक सुता,
ये प्रश्न बड़ा बैचेन किए,
अग्नि परीक्षा एक कसौटी हो,
न...

























