कुदरत का पैगाम
केशी गुप्ता
(दिल्ली)
**********************
रो रहा है आसमां
देख धरती का हाल
दंगाइयों के हाथ से
पिट रहा यूथ यहां
पथ भ्रमित है दिशा
चल रही नफरत की हवा
खेल रहे भविष्य से
आज के पहरेदार
दबा रहे जज्बातों को
खींच दिलों में दीवार
लड़ा रहे एक दूजे से
धर्म के पहरेदार
गरज रहे हैं मेघ भी
देख कर यह अत्याचार
ना बांटो इंसान को
रहने दो इंसानियत
कुदरत यह दे रही
चीख चीख कर पैगाम
.
परिचय :- केशी गुप्ता लेखिका, समाज सेविका
निवास - द्बारका, दिल्ली
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अप...