रात भर वो
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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आसमाँ से नज़ारा लुटाता रहा।
रात भर वो सितारा लुभाता रहा।
कुछ सलीक़े उसी से चलो सीख लें,
वास्ता जो सभी से निभाता रहा।
मुस्कुराहट हमें भी वहाँ आ गई,
ये ज़माना जहाँ मुस्कुराता रहा।
चाँद सूरज की तरहाँ है उसका सफ़र,
जो उजालों का दरिया बहाता रहा।
जानता है रिवायत, शराफ़त सभी,
वो झुकाकर भी नज़रें मिलाता रहा।
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लेखक परिचय :-
नाम ... नवीन माथुर पंचोली
निवास ... अमझेरा धार मप्र
सम्प्रति ... शिक्षक
प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन।
तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह।
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