तेरे संग जीना मरना
संजय जैन
मुंबई
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जीना मरना तेरे संग है।
तो क्यो और के बारे में सोचना।
मिला है तुम से इतना प्यार।
तो क्यो गम को गले लगाना।
और हंसती खिलखिलाती जिंदगी,
को भला क्यो रुलाना।
अरे बहुत मिले होंगे
तुम्हे प्यार करने वाले।
पर दिल से मोहब्बत
करने वाला में ही होगा।।
आज दिल कुछ उदास है।
चेहरे पर भी
उदासी का राज है।
कैसे कहूँ में बिना देखे
दिल मानता नही है।
इसलिए कब से बैठा हूँ,
तेरे दीदार के लिए।
पर तुम हो जो,
नजर ही नही आ रहे।
इसलिए आंखे और
दिल दोनों उदास है।।
तुझे क्या कहूँ में अब,
कुछ तो तुम्ही बता दो।
उदास दिल मे,
कोई दीप जला दो।
और दिल के अँधेरेपन,
को तुम जगमगा दो।
और वर्षो की प्यास को,
आज बुझा दो।
और अपने दिल की,
आवाज़ को हमे सुना दो।।
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लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लि...