प्यार का महल
संजय जैन
मुंबई
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मिलना बिछड़ना यारों,
जिंदगी का एक पहलू है।
वहां तुम तड़प रहे हो,
यहां हम तड़प रहे है।
मदहोश ये निगाहें,
तुमको ही खोज रही है।
जिसे तुम देख रहे हो,
वो तेरे सामने खड़ा है।।
किस्सा ये मोहब्बत का,
किसने शुरू किया है।
दिल बहुत मचलता,
जब सामने से वो निकलते।
न पाने की है चाहत,
और न खोने का डर है।
वो मेरे दिल में बसते,
हम उनके दिल में रहते।।
जब भी होते है अकेले,
याद वो ही आते रहते।
खाली पना ये दिल का,
उनके बिना नही भरता।
कैसे कहे हम उनसे,
बन जाओ मेरी तुम सांसे।
जिंदगी जियेंगे दोनों,
हिल मिलकर यहां पर।
करके मोहब्बत दोनों,
बनायेंगे एक प्यार का महल।।
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लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय है...



















