मेरी राह देखना तुम
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रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
जाते-जाते कह गए, मेरी राह देखना तुम
तुमको ही पूरा माना है, तुम ही मेरे मन में हो
तुम मेरे हर क्षण में हो ,तुम मेरी सांसों में हो
तुम ही प्राणप्रिया हो मेरी, यही याद कर राह देखना तुम
जाते जाते कह गए, मेरी राह देखना तुम।
तुम्हीं भाग्य गए हो, तुम्हीं कर्म हो
तुम्हीं बुद्धि हो, तुम्हीं सिद्धि हो
तुम्हीं हो मेरे, सुख-दुख की रानी
तुम्हीं मेरे सपनों की, शहजादी
यादों में भी गर्व कर, मेरी राह देखना तुम
जाते जाते कह गए, मेरी राह देखना तुम।
जानती हूॅ॑ न लौटेंगे कभी, हृदय उनका निष्ठुर हुआ हैं
त्याग कर मेरा समर्पंण तो, मातृभूमि को किया हैं
प्रेम में त्याग एक का, दूसरे पर स्वयं बलिदान हो गए
रोता हुआ छोड़ कर मुझे, स्वयं जाते-जाते कह गए
आएंगे हर रोज सपनों में तेरे, मेरी राह देखना तुम
जाते-जाते कह गए, मेरी राह देखना तुम।।
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परिचय :- नाम : रेशमा ...






















